वास्तव में ईश्वर तुम्हारे ओर उन के बिच जिन से तुम (उस की रज़ा के लिए) दुश्मनी रखते हो मुहब्बत पैदा कर देगा। ओर ईश्वर बड़ी शक्ती वाला है। ओर ईश्वर शमावान ओर दयालू है । (सूरा मूम्तहीना)
ईमान वालों ने अपने संबध और रिश्ते कुफ़्फ़ार (नास्तीकों) से खतम कर दिए। इस्लाम के लिए अगर उन के सर काट्ने की भी कभी जरुरत पडी तो उन्हें इस में थोडा भी ना वीचारतें।
ईश्वर ने इस आयत में ईमान वालो को ये खूशखबरी सुनायी कि बहुतजल्द ये लोग इस्लाम क़बूल कर लेंगे। कुफ्र की जो ख़लीज तुम्हारे और उन के बिच हे, वो भर जाएगी। फिर तुम आपस में मील जाओगें। इस्लाम को सरबूलंद देखने की जो ईच्छा आज तुम्हारे दीलों को बेचैन कर रही है, यही तड़प उन्हें भी बख़श दी जाएगी। तुम एक साथ खड़े होकर बातिल का सर-ए-ग़रूर ख़ाक में मिलाने के लिए जिहाद करोगें।
पूर्व मुहब्बत और प्यार नए रूप में ज़ाहिर होगा और ये रूप हर लिहाज़ से पहले रूप से ज़्यादा श्क्तीशाली और दिलकश होगा। दुनिया ने देख लिया कि फ़तह मक्का के बाद कुफ़्फ़ार-ए-अरब फ़ौज दर फ़ौज मुशर्रफ़ ब इस्लाम हुए और ताल्लुक़ात के देरीना रिश्ते फिर से उस्तुवार हो गए।