इलहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ की डीवीझ़न बेंच ने जो चीफ़ जस्टिस जिस शैव कीर्ति सिंह और जस्टिस वे के अरोड़ा पर मुश्तमिल थी, आज रियास्ती हुकूमत को हिदायत दी है कि वो फ़ौरी तौर पर दो माह के अंदर उत्तरप्रदेश अक़ल्लियती कमीशन की तशकील करदे।
अक़ल्लियती कमीशन गुजिश्ता अठारह महीने से ख़ाली पड़ा है। हाईकोर्ट के वकील मुहम्मद फ़ारूक़ एडवोकेटस हाईकोर्ट में मफ़ाद-ए-आम्मा की रट दाख़िल कर के यू पी अक़ल्लियती कमीशन की तशकील कराने की कोशिश की थी। दर्ख़ास्त गुज़ार ने कहा कि अक़ल्लियती कमीशन गुजिश्ता अठारह महीने से ख़ाली है जिसकी वजह से अक़ल्लियतों के काम काज नहीं हो पा रहे हैं।
अक़ल्लियती इदारों को तस्लीम नहीं किया जा रहा है। ग्रांट वग़ैरह नहीं मिल पा रही है। अक़ल्लियती कमीशन में सदर के इलावा दो नायब सदर और सात मिम्बरान होते हैं। हाईकोर्ट की हिदायत पर पहले मुहम्मद फ़ारूक़ एडवोकेट ने मुताल्लिक़ा महिकमा के वज़ीर को अर्ज़दाश्त दी।
रियास्ती हुकूमत ने मार्च में अदालत को यक़ीन दिलाया था कि वो अक़ल्लियती कमीशन की तशकील ना करने जा रही है लेकिन यक़ीन दहानी को भी छः महीने होचुके हैं लेकिन अभी तक अक़ल्लियती कमीशन की तशकील नहीं हुई। हाईकोर्ट ने रट की सुनवाई के बाद रियास्ती हुकूमत को हिदायत दी कि वो दो माह के अंदर अक़ल्लियती कमीशन को बहाल करे।