उत्तर प्रदेश में बेक़सूर मुबय्यना मुस्लिम दहशतगर्दों की रिहाई के वायदे को पूरा करने में अखिलेश यादव हुकूमत की नाकामी के ख़िलाफ़ रियासत ( राज्य) भर के मुसलमानों ने उत्तर प्रदेश के दार-उल-हकूमत(राजधानी)लखनऊ में 30 जून को कौंसल हाउस के सामने धरना देने का ऐलान किया है।
इस धरने की क़ियादत मुबय्यना मुस्लिम दहशतगर्दों के वकील मिस्टर मुहम्मद शुएब एडवोकेट, सबकदोश आई पी एस आफीसर दारा पूरी, मौलाना ताहिर मदनी, सैयद मुहम्मद वज़ीन, ताहिर हसन करेंगे।
इस धरने में मुतास्सिरा ( प्रभावित) ख़ानदानों के अफ़राद ( लोग) भी शरीक होंगे। याद रहे कि समाजवादी पार्टी ने अपनी इंतिख़ाबी रैली और इंतिख़ाबी मंशूर में आज़मगढ़ के मुसलमानों से वायदा किया था कि जिन बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को ए टी एस ने दहशतगर्दी के मुआमलात में फंसाकर जेलों में बंद रखा है खासतौर से आज़मगढ़ के हकीम तारिक़ क़ासिमी, जौनपूर के मौलाना ख़ालिद मुजाहिद और मुहम्मद अख्तर और सज्जाद अलरहमान जिन को ए टी एस ने लखनऊ, फ़ैज़ाबाद और वारणसी के ज़िला कचहरियों में 23 नवंबर 2008 को हुए साईकल बम धमाकों के सिलसिला में गिरफ़्तार किया है।
इनके मुक़द्दमात पर समाजवादी पार्टी की हुकूमत नज़रसानी (पुन: विचार) करेगी। ये वायदा मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों ने किया। यूपी असेंबली इंतिख़ाबात ( चुनाव) में मुसलमानों ने मुत्तहदा ( संयुक़्त) तौर पर वोट देते हुए समाजवादी पार्टी को इक़तिदार (शासन) सौंपा और मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव वज़ीर-ए-आला ( मुख्य मंत्री) बने।
अखिलेश यादव ने हुकूमत की अन्नान सँभालने के तक़रीबन ढेढ़ महीने के अंदर रियासत के महकमा क़ानून-ओ-इंसाफ़ से हकीम तारिक़ क़ासिमी, मौलाना ख़ालिद मुजाहिद, मुहम्मद अख़तर, सज्जाद अलरहमान के मुक़द्दमात की पेशरफ़त, गवाहों के ब्यानात वग़ैरा का क़ानूनी जायज़ा लेकर हुकूमत को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा ताकि उन मुबय्यना ( कथित) मुस्लिम दहशतगर्दों की रिहाई की कोई सूरत निकल सके।
अखिलेश यादव के महिज़ राय मांगने पर ही मुतास्सिरा (प्रभावित) ख़ानदानों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई और आम मुस्लमानों में भी ये एहसास पैदा हुआ कि अखिलेश यादव हुकूमत जो कहती है वही करेगी लेकिन अब जबकि अखिलेश यादव हुकूमत को सौ दिन से ज़ाइद हो चुके हैं, अभी तक महकमा क़ानून-ओ-इंसाफ़ ने इन मुबय्यना ( कथित) मुस्लिम दहशतगर्दों की बाबत हुकूमत को क़ानूनी राय नहीं दी।