आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है की वह सुनिश्चित करे की, पिछले महीने कैबिनेट द्वारा अनुसूचित जाति में सम्मिलित किए जाने की सिफारिश में शामिल १७ अन्ये पिछड़ वर्गो को नए जाति प्रमाणपत्र जारी ना हो|
मुख्य न्यायधीश डी बी भोसलें और न्यायधीश यशवंत वर्मा वाले खण्डपीठ ने यह आदेश गोरखपुर स्थित संगठन ‘डॉ. आंबेडकर ग्रंथालय एवं जन कल्याण समिति’ द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुनाया| यह याचिका अखिलेश यादव की सरकार द्वारा १७ अन्ये पिछड़े वर्गों को अनुसूचित जाती में सम्मिलित किये जाने की सिफारिश के ख़िलाफ़ दायर की गई थी|
राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए अटॉर्नी-जनरल विजय बहादुर सिंह ने बताया की, राज्य सरकार ने अपनी सिफारिशें केंद्र में संसद की मंज़ूरी के लिए भेजी हुई थी| इस बीच अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए,कोई भी नया जाती प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है|
कोर्ट ने दिशा जारी करते हुए, सरकार से दो सप्ताह के भीतर राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा भी दायर करने को कहा है|
इससे पहले, सरकार के इस निर्णय के खिलाफ एक और जनहित याचिका के मद्दे नज़र कोर्ट ने सरकार से जवाब माँगा है और मामलें की सुनवाई के लिए ९ फरवरी की तारिक़ तय करी है