उर्दू की तरक़्क़ी से ही मुल़्क की तरक़्क़ी मुम्किन

कुरनूल, २१ दिसम्बर: ( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ ) उर्दू एक मीठी ज़बान है और कोई भी ज़बान किसी मज़हब से ताल्लुक़ नहीं रखती. ज़बान एक ज़रीया है ताल्लुक़ात पैदा करने का हिंदूस्तान में पिछले कई सौ सालों से उर्दूज़बान बोली जा रही है अब इस दौर में उर्दू ज़बान को किसी ख़ास मज़हब से जोड़ना ये ग़लत बात होगी.उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी से ही मुल़्क की तरक़्क़ी मुम्किन इन ख़्यालात का इज़हार डाक्टर शेख़ इमतियाज़ साहिब करसपानडनट नैशनल डिग्री कॉलिज ननदयाल ने बज़्म-ए-उर्दू कुरनूल के ज़ेर-ए-एहतिमाम चलाए जा रहे उर्दू मीडियम टेट फ़्री कोचिंग के तलबा-ए-से ख़िताब करते हुए किया। ये तक़रीब डाक्टर हक़ उर्दू यूपी स्कूल में मुनाक़िद की गई.इस मौक़ा पर उन्हों ने कहा कि वो पचपन से उर्दू सीखने की ख़ाहिश रखते थे और कई मर्तबा उर्दू सीखा भी मगर इतनी उर्दू नहीं आती जन्नती कि उर्दू दां हज़रात जानते हैं.मगर में उर्दू ज़बान को सीखने तक सुकून नहीं लूंगा मज़ीद उन्हों ने कहा कि वो हमेशा उर्दू की ग़ज़लें , नज़्में वग़ैरा सुनते हैं.और उन ग़ज़लों का मज़ा दूसरी किसी ज़बान के नग़मों में नहीं मिला.मज़ीद उन्होंने कहा अगर इंसान को परेशानी से नजात मिलना है तो वो अच्छी सी ग़ज़ल सुन ले तो उसे ज़हनी सुकून मिलेगा.इस मौक़ा पर उन्हों ने ग्रैजूएट वोटर हज़रात से ख़ाहिश की कि वो अपनी तालीम का पूरा पूरा इस्तिमाल करें. चाहे तालीम जिस किसी को भी दें.इस तालीम से मुआशरे को पूरा पूरा फ़ायदा हासिल हो ।

इस मौक़ा पर बज़म उर्दू के मोतमिद जनाब डाक्टर कैसी क़मर नगरी ने अपने ख़िताब में कहा कि यक़ीनन उर्दू किसी ख़ास मज़हब की ज़बान नहीं है मगर उर्दू की तरक़्क़ी असातिज़ा से ही मुम्किन हो सकती है सदर बज़म उर्दू कुरनूल जनाब फ़ारूक़ बाशाह साहिब ने डाक्टर शेख़ इमतियाज़ साहिब से ख़ाहिश की कि वो रायल सीमा हलक़ा में भी हल्का-ए-हैदराबाद की तरह उर्दू को आम करने में पूरा पूरा तआवुन करें. मज़ीद उर्दू के मदारिस क़ायम किए जाएं और उर्दू दां तबक़े के लिए ननदयाल के इलावा दूसरे शहरों में भी उर्दू मीडियम कालेज्स का क़ियाम अमल में कब लाएंगे। इस मौक़ा पर डाक्टर शेख़ अमीताज़ साहिब ने ये वायदा किया कि वो ननदयाल के इलावा हलक़ा रायल सीमा में उर्दू को आम करने के लिए पूरी पूरी कोशिश करेंगे।

मज़ीद उन्हों ने कहा बज़म उर्दू कुरनूल के लिए हर किस्म का तआवुन करने का वायदा किया। और उन्होंने ये भी वादा किया कि बज़म उर्दू के ज़ेर-ए-एहतिमाम चलाई जा रही टेट मुफ़्त कोचिंग में अव्वल दोम और सोम रैंक हासिल करने वाले तलबा-ए-में फी कस 3,2,1 हज़ार रुपय बतौर इनाम देंगी। उन्होंने बज़म उर्दू कुरनूल की काविशों को सराहते हुए कहा कि मैंने पूरे ज़िला में यही एक तंज़ीम देखी है जो उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी के लिए दिन रात मेहनत कर रही है और ये तंज़ीम बहुत ही कम वक़्त में अपनी शाख़ों को वसीअ करचुकी है प्रोग्राम का आग़ाज़ हाफ़िज़ पी हुसैन वली की खिरा॔त कलाम पाक और हाफ़िज़ सुहेल की नात ए शरीफ़ से हुआ.इफ़्तिताही कलिमात सदर बज़म उर्दू कुरनूल फ़ारूक़ बाशाह ने अंजाम दुई. कन्वीनर के फ़राइज़ जनाब मूसा मियां साहिब रुकन बज़म उर्दू कुरनूल ने अंजाम दुई. इस मौक़ा पर सहार टूटू रेल इंचार्ज सैयद क़ुदरत उल्लाह कादरी रुकन बज़म उर्दू कुरनूल के इलावा जनाब इक़बाल साहिब रिटायर्ड एन सी सी कमांडर और अराकीन बज़म ए उर्दू तलबा-ए-की कसीर तादाद शरीक रही।