वरंगल २२ दिसम्बर: (ज़रीया फ़याकस) ज़बान उर्दू एक आलमी-ओ-शीरीं ज़बान है। इस
ज़बान को कम अर्सा में जो मक़बूलियत मिली, उस की नज़ीर नहीं मिलती। ज़बान
उर्दू के फ़रोग़ में मदारिस, अदबी मशाअरी, अख़बारात और शारा-ए-का कलीदी
नाक़ाबिल फ़रामोश किरदार रहा है। उर्दू ज़बान के अहल-ए-ज़ोक़ हज़रात हमेशा
शायरी और शारा-ए-को ख़राज पेश करते हैं। ज़बान उर्दू के अहल-ए-ज़ोक़ हज़रात
क़ाबिल मुबारकबाद हैं। इन हक़ायक़ का इज़हार जनाब मुहम्मद रफ़ीक़ अहमद
इंचार्ज हेडमास्टर गर्वनमैंट हाई स्कूल उर्दू मीडियम चिन्तल वरंगल मैं 20
दिसम्बर बरोज़ मंगल मदर्सा हज़ा में मुनाक़िदा अदबी मुशायरा की सदारत करते
हुए किया। उन्हों ने मज़ीद कहाकि तलबा-ए-ओ- असातिज़ा किराम में शायरी का
रुजहान पैदा करने में अदबी मुशायरा का अहम रोल है। अदबी मुशायरा उर्दू
अदब को ज़िंदा रखने में मुमिद-ओ-मुआविन साबित होरहे हैं। अदबी माहौल पैदा
करना वक़्त की अहम ज़रूरत ही। उन्हों ने ज़िला वरंगल के डी ई ओ जनाब पुष्पा
राज की ख़ुसूसी दिलचस्पी पर हाई स्कूल में जनाब सय्यद नज़ीर अहमद की
निगरानी में अदबी मुशायरा मुनाक़िद करने के अहकामात की सताइश करते हुए डी
ई ओ वरंगल के इस इक़दाम को इन्क़िलाबी इक़दाम से ताबीर किया। अदबी मुशायरा
का आग़ाज़ सबाहत यासमीन की हम्द से हुआ। मेहमान ख़ुसूसी शायर जनाब सय्यद
नज़ीर अहमद ने हमदीह, नाअतिया, मिनक़बती और मुख़्तलिफ़ अस्नाफ़ सुख़न के कलाम
से तलबा-ए-को मुतास्सिर किया। मदर्सा हज़ा के तलबा-ए-ओ- तालिबात पर
मुख़्तलिफ़ अस्नाफ़ सुख़न पर तबा आज़माई की और दाद तहसीन हासिल की। बाद
मुशायरा सय्यद नज़ीर अहमद तलबा-ए-को मुफ़ीद मश्वरे दिये। इस मौक़ा पर
मदर्सा हज़ा के असातिज़ा जनाब मुहम्मद नफ़ीस अहमद ख़ान, जनाब मुहम्मद सालार,
जनाब मुहम्मद शरफ़ उद्दीन महमूदी और प्राइमरी हेडमास्टर मुहम्मद अबदुल
मनान और सैयद अशरफ़ मौजूद थे। अदबी मुशायरा की कार्रवाई जनाब मुहम्मद शरफ़
उद्दीन मुहम्मद ने चलाई और इज़हार-ए-तशक्कुर जनाब मुहम्मद नफ़ीस अहमद ख़ान
ने किया।