बेंगलुरु। बेंगलुरु में इमाम कौंसिल के बैठक में कहा गया कि साक्षी महाराज, उमा भारती जैसे अपने को संन्यासी और साध्वी कहने वाले लोग इन दिनों केंद्र सरकार में कहीं मंत्री तो कहीं सांसद के रूप में जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहीं अब यूपी में एक मठ के आचार्य योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री हैं।
लेकिन अल्पसंख्यक का नेतृत्व और विशेष रूप से मुसलमानों का नेतृत्व की बात की जाए तो पूरे देश के सभी विधानसभाओं से लेकर संसद तक काफी कम संख्या में हैं। उलमा ने मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए एक बार फिर से इस बात पर जोर दिया है कि उनके बीच भी जनता की प्रतिनिधि राजनीतिक रूप से भी होनी चाहिए।
न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के मुताबिक़ बैठक में विशेष रूप से कहा गया कि उलेमा केवल मस्जिदों तक सीमित न रहें बल्कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में भी जनता का नेतृत्व करें।
इस बैठक में इमाम कौंसिल के राज्य कमीटी का गठन किया गया। नई कमीटी के दो साला कार्यकाल के लिए इमाम कौंसिल ने 15 नये पदाधिकारियों को चुना है। गुलबर्गा के मौलाना यूसुफ रशादी को राज्य अधयक्ष जबकि मंगलोर के मौलाना जाफ़र फ़ैज़ी को राज्य का महासचिव चुना गया है।
इमाम कौंसिल ने कहा कि मौजूदा दौर में राजनीतिक क्षेत्र में मठों के स्वामी जी जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उलेमा को भी चाहिए कि वह हर क्षेत्र में जनता का नेतृत्व करें।