उड़ीसा के बालासाेर जिले में 80 वर्षीया विधवा, सलमानी बेहड़ा की बुधवार सुबह सोरो रेलवे स्टेशन के नजदीक मालगाड़ी के नीचे आ जाने से मौत हो गई। उनकी लाश को सोरो कम्युनिटी हेल्थ सेंटर ले जाया गया। लाश को पाेस्टमॉर्टम के लिए बालासोर जिला ले जाना जरूरी था, मगर कोई एम्बुलेंस मौजूद नहीं थी
सोरो जीआरपी के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर प्रताप रुद्र मिश्रा का कहना है कि उन्होंने एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर को लाश रेलवे स्टेशन ले जाने को कहा था, ताकि उसे ट्रेन से बालासोर भेजा जा सके। मिश्रा के मुताबिक, ”ऑटाे ड्राइवर ने 3,500 रुपए मांगे जबकि हम ऐसे काम के लिए 1,000 से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते। मेरे पास सीएचसी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के द्वारा लाश ले जाने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था।”
देरी होने की वजह से, लाश अकड़ गई थी जिसकी वजह से कामगारों को लाश बांधने में परेशानी हो रही थी। इसलिए उन्होंने कूल्हे के पास से लाश को तोड़ दिया, उसके बाद उसे पुरानी चादर में लपेटा, एक बांस से बांधा और दो किलोमीटर दूर स्थित रेलवे स्टेशन ले गए।
बेहड़ा के बेटे, रबिंद्र बरीक ने कहा कि जब उन्होंने अपने मां की लाश के साथ किए गए व्यवहार के बारे में सुना तो वह आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने कहा, ”उन्हें थोड़ी और मानवता दिखानी चाहिए थी। मैंने शुरू में पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा करने की सोची, लेकिन हमारी शिकायत पर कार्रवाई कौन करेगा।”
इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग गुस्सा जाहिर कर रहे हैं