एएमयू: लाइब्रेरी में लडकियों के दाखिले पर रोक! मरकज़ ने रिपोर्ट मांगी

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के कुलपति (वीसी) ले. जनरल (रिटायर्ड) जमीरूद्दीन शाह ने वुमेंस कॉलेज की उस मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में दाखिला दिए जाने की मांग की गई थी। उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि अगर लडकियों को लाइब्रेरी की रूकनियत दी जाती है, तो वहां लडकों की तादाद चार गुना बढ जाएगी।

शाह के इस बयान पर हंगामा मच जाने के बाद मरकज़ी तालीम वज़ीर स्मृति ईरानी ने मामले पर रिपोर्ट तलब की है। वज़ारत ने कुलपति को खत लिखकर कहा है कि कुछ ख्वातीन को लाइब्रेरी से बाहर रखना ‘इंसानी हुकूक की खिलाफवर्जी ‘ है।इसबीच वीसी ने सफाई दी है कि उनकी मंशा लडकियों पर बैन लगाने की कतई नहीं है।

मुल्क के बेहतरीन युनिवर्सिटीज़ में शुमार किए जाने वाले अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में सभी ग्रेजुएशन हो चुके तालिब ए इल्म को मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी के इस्तेमाल की इजाज़त है, लेकिन ग्रेजुएशन कोर्स की तकरीबन 2,500 तालिबात (गर्ल्स स्टूडेंट्स) को लाइब्रेरी में दाखिले से मरहूम रखा गया है, और इस पर वाइस चांसलर कहते हैं कि वे लड़कियां महिला कॉलेज जा सकती हैं, जहां लाइब्रेरी है, हालांकि उसमें इतनी किताबें नहीं हैं।

इस मुद्दे पर सफाई देते हुए मंगल के रोज़ को कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने कहा, “तकरीबन 4,000 लड़कियां हैं, जो ग्रेजुएशन कोर्स में पढ़ रही हैं… अगर हम उन्हें अंदर आने देते हैं, तो जगह ही नहीं बचेगी… सो, साफ बात है, हम उन्हें इज़ाज़त नहीं दे सकते… वैसे, हम Women Empowerment के खिलाफ नहीं हैं…”

वुमेंस कॉलेज की तंसीब साल 1906 में हुई थी, और मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी कई दहा बाद कायम हुई। वुमेंस कॉलेज की तालिबात को कभी भी इस लाइब्रेरी की रुकनियत नहीं दी गई, और वैसे इस लाइब्रेरी में कुल 1,300 लोगों के बैठने की जगह है।

लड़कियां इस बात को लेकर काफी परेशान और गुस्से में हैं। उनमें से एक ने कहा, “क्या हम अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी का हिस्सा नहीं हैं…? अगर अंदर नहीं बैठने दे सकते, तो कम से कम किताबें ही इश्यू कराने की इज़ाज़त दे दें…”

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, वीसी ने लाइब्रेरी में लडकियों के दाखिले पर रोक के फैसले की ताईद करते हुए कहा, यहां मसले डिसीप्लीन की नहीं बल्कि लाइब्रेरी में जगह की है। लाइब्रेरी पहले से ही भरी रहती है, अगर लडकियों को भी इजाजत दे दी जाती है, तो मसले खड़े हो सकते हैं। वुमेंस कॉलेज में लाइब्रेरी का इंतेज़ाम है। अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मौलाना आजाद लाइब्रेरी है। इस लाइब्रेरी में लडकियों के दाखिले के लिए वुमेंस कॉलेज की तालिबात की ओर से लंबे वक्त से मांग की जा रही है।

अखबार के मुताबिक, वुमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल नाइमा गुलरेज ने पीर के रोज़ कॉलेज में छात्रसंघ के नए मेम्बर्स के हलफ बर्दारी की तकरीब में बोलते हुए कहा कहा कि तालिबात ने लाइब्रेरी की रुकनियत बनने की जो मांग रखी है, हम उसे समझ सकते हैं। नाइमा ने लडकियों से सवाल पूछतेहुए कहा कि क्या आपने लाइब्रेरी को देखा है, वहां हर वक्त लडके मौजूद रहते हैं। अगर लडकियां भी वहां रहेंगी, तो डिसीप्लीन के मसले खड़े हो सकते है।

काबिल ए ज़िक्र है कि एएमयू कैंपस में वाके मौलाना आजाद लाइब्रेरी में तालिबात ( गर्ल्स स्टूडेट्स) को रुकनियत नहीं दी जाती है। इस लाइब्रेरी में वुमेंस कॉलेज की लाइब्रेरी से ज्यादा अच्छी किताबें मौजूद हैं। साबिक के छात्रसंघ भी वुमेंस कॉलेज की तालिबात को मौलाना आजाद लाइब्रेरी की रुकनियत देने की मांग कई सालों से करते आ रहे हैं। वुमेंस कॉलेज स्टूडेंट यूनियन की प्रेजीडेंट गुलफिजा खान ने कहा कि हम अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढते हैं। हमें भी यह हक है कि हम लाइब्रेरी में जाकर पढाई कर सकें। अगर इस मामले में जगह की दिक्कत है तो हम सिर्फ किताब लेकर लाइब्रेरी से बाहर आ जाएंगे, लेकिन यह हमारा हक है।