एक अहम शख़्सियत के लिए 3 पुलिस, 953 शहरीयों के लिए सिर्फ एक

हैदराबाद 25 फ़रवरी – दिलसुख नगर बम धमाकों के बाद अवाम में ये सवालात उठ रहे हैं कि हमारी रियासत में महकमा पुलिस को ख़ुद सेक्यूरिटी की ज़रूरत है इस लिए कि महकमा पुलिस में मुलाज़मीन की कमी है लेकिन मतलूबा तादाद के बरअक्स क़लील तादाद की भर्ती अमल में लाई जाती हैं।

आप को ये जान कर हैरत होगी कि आंध्र प्रदेश में 953 अफ़राद के लिए एक पुलिस मुलाज़िम को तैनात किया जाता है यानी पुलिस मुलाज़मीन की तादाद और आबादी के लिहाज़ से देखा जाए तो 953 अफ़राद के लिए एक पुलिस अहलकार की ख़िदमात हासिल की गईं।

आम शहरीयों के ख़्याल में महकमा पुलिस में रिश्वतखोरी भी बहुत बड़ा मसअला है। यही वजह है कि अवाम पर पुलिस का कोई कंट्रोल नहीं। इस बारे में ख़ुद पुलिस ओहदेदार अच्छी तरह जानते हैं जब कि मशरिक़ वुसता और यूरोपीय ममालिक में हज़ारों के हुजूम पर सिर्फ़ 4 ता 5 पुलिस ओहदेदार क़ाबू पा लेते हैं।

उस की वजह ये बताई जाती है कि वहां पुलिस ओहदेदार करप्ट नहीं होते क़ारईन आप को बता दें कि सारे मुल्क में वी आई पी शख़्सियतों को बहुत ज़्यादा सेक्यूरिटी फ़राहम की जाती है।

हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक़ तक़रीबन 47,557 सेक्यूरिटी ओहदेदारों को सिर्फ़ 14842 अहम शख़्सियतों की सेक्यूरिटी पर मामूर किया गया। इस तरह एक अहम शख़्सियत के लिए तीन पुलिस ओहदेदार तैनात किए गए हैं लेकिन मर्कज़ी और रियास्ती हुकूमतें आम शहरीयों की सेक्यूरिटी पर कोई तवज्जा नहीं देती।

बताया जाता है कि सियासतदां और दीगर अहम शख्सियतें सेक्यूरिटी को अपनी शान में इज़ाफ़ा का बाइस समझते हैं। उन की आमद और रवानगी के मौक़ा पर सेक्यूरिटी घेरे को देख कर लोग काफ़ी मुतास्सिर होते हैं।

बहरहाल आंध्र प्रदेश में मुल्क की दीगर रियास्तों की तरह अरकान पार्लीमान, एम एल एज़ वग़ैरा को बेतहाशा सेक्यूरिटी फ़राहम की गई। काश हुकूमत आम शहरीयों को भी मोअस्सर सेक्यूरिटी फ़राहम करती तो कितना बेहतर होगा।

हुकूमत की लापरवाही के बाइस एक आम आदमी का अब घर से निकल कर सही सलामत वापस आना मुश्किल हो गया है।