जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एक देश, एक टैक्स का सपना अब हकीकत बनने जा रहा है। दशक भर से अधिक के इंतजार के बाद आखिरकार संसद से जीएसटी लागू करने को आवश्यक संविधान संशोधन विधेयक पारित हो गया। अल्पमत के कारण सरकार के लिए सबसे बड़ी अड़चन बनी राज्यसभा ने भी दो-तिहाई ही नहीं बल्कि सर्वसम्मति के साथ इस पर मुहर लगा दी।
सभी जरूरी संशोधन भी सर्वसम्मति से ही पारित हुए। अब इस विधेयक को कानून बनने से पहले कम से कम 15 राज्यों के विधानमंडलों की मंजूरी लेनी होगी। इसके साथ ही पहली अप्रैल 2017 से देश में जीएसटी लागू करने की पहली बाधा सरकार ने पार कर ली है। माहौल कुछ ऐसा बना कि विरोध में खड़े अन्नाद्रमुक ने भी औपचारिक विरोध से बचते हुए वाकआउट कर विधेयक पारित कराने की राह आसान कर दी। राज्यसभा में इस विधेयक पर करीब आठ घंटे तक चली चर्चा में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने जीएसटी की अधिकतम दर 18 फीसद रखने की वकालत की ताकि आम जनता की जेब पर अधिक बोझ न पड़े।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चर्चा के जवाब में स्वीकार भी किया टैक्स की दर नीची रहनी चाहिए और केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि राज्यों के साथ एक उचित दर सहमति बने। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि टैक्स की दर तय करने का काम जीएसटी काउंसिल को करना है जिसमें राज्यों के साथ साथ केंद्र की भी हिस्सेदारी होगी। इस काउंसिल में सभी राज्यों और सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि होंगे लिहाजा कोई आवश्यकता से अधिक ऊंची दर रखकर जनता की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेगा।