एनआईए की टीम रांची में, बड़ी मिक़दार में आरडीएक्स समेत धमाके खेज आलात बरामद

रांची : वर्धमान से रांची में धमाके खेज आलात लाने के इल्ज़ाम में गिरफ्तार हिंदपीढ़ी के रहने वाले इंतजार अली के खिलाफ जीआरपी रांची थाने में सनाह दर्ज कर ली गई है। इसके पहले इंतजार अली से झारखंड जगुआर अहाते में रांची पुलिस, जीआरपी, खुसुसि शाख, सीआईडी और सेंट्रल आईबी के अफसर दिन भर पूछताछ करते रहे। जुमा को सनाह दर्ज करने के बाद जीआरपी के अफसरों ने इंतजार को रेलवे के मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया। जीआरपी ने अदालत के सामने दरख्वास्त देकर आरोपी इंतजार को रिमांड पर लेने की दरख्वास्त किया।

जीआरपी ने अदालत को बताया कि मामले की संजीदगी और तहक़ीक़ात की सिम्त में मुल्ज़िम इंतजार से पूछताछ करना इंतेहाई जरूरी है। इसलिए उसे तीन दिनों की रिमांड पर लेने की इजाजत दी जाए। अदालत ने दरख्वास्त कुबूल कर लिया और उसे तीन दिनों की पुलिस रिमांड पर लेने की इजाजत दे दी। मुल्ज़िम इंतजार से जीआरपी खुफिया मुकाम पर पूछताछ कर रही है। इससे पहले पूछताछ में मुल्ज़िम ने इंतजार एक ही जवाब देता रहा। उसने पुलिस से कहा कि धमाके से भरा बैग उसका नहीं है।

इंतेजार अली ने पुलिस को दिये बयान में कहा है कि वह असल तौर रूप से आरा के जगदीशपुर का रहनेवाला है। बहुत पहले वह रांची आया था। यहीं से उसने मैट्रिक की इम्तिहान पास की। फिर रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (आरएमपी ) की पढ़ाई कर छोटे-मोटे रोगों का इलाज करता है। उसने हिंदपीढ़ी के मुजाहिदनगर में जमीन लेकर खुद का घर बनाया है। घर में उसकी बीवी, दो बेटी व एक बेटा रहते हैं। उसके वालिद का नाम मरहूम नशरुद्दीन अंसारी है। वह सेना से रिटायर किये थे। उनकी मौत हो चुकी है। एक बहन की शादी दिल्ली में हुई है।

एनआईए टीम को नहीं मिला जीआरपी की मदद

एनआईए की टीम देर शाम अब रांची जीआरपी थाना पहुंची तो वहां जीआरपी के थाना इंचार्ज मौजूद नहीं थे। दूसरे अफसरों को भी टीम के मेंबरों के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे थे। इसके बाद एनआईए की टीम मामले से मुतल्लिक़ दस्तावेज लिए बिना ही वहां से निकल गई और रेलवे कोर्ट पहुंची। एनआईए की टीम रेलवे कोर्ट में डेढ़ घंटे तक जीआरपी के अफसरो का इंतजार करती रही। यहां भी एनआईए टीम को किसी तरह का दस्तावेज हाथ नहीं लग सका। एनआईए की टीम ने मामले को बहुत ही संजीदा बताया। फिलहाल अभी पूरी टीम जांच के सिलसिले में रांची में ही रुकेगी।

पूछताछ के दौरान इंतेजार ने अभी तक इस बात को कुबूल नहीं किया है कि वही बरामद धमाके खेज आलात को लेकर आ रहा था। उसने पुलिस को बताया है कि रिम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे एक तालिबे इल्म ने उससे कहा था कि झालदा में एक एनजीओ की तरफ से मेडिकल कैंप लगाया जाता है। अगर वह उस मेडिकल कैंप में जाकर मरीजों का इलाज करेगा, तो उसे एक दिन के 1400 रुपये मिलेंगे। इसी के लिए वह जुमेरात को झालदा गया था और वर्द्धमान-हटिया ट्रेन से वापस लौट रहा था। पुलिस अब झालदा पुलिस से राब्ता कर मेडिकल कैंप के बारे में पड़ताल कर रही है।