सैलाब-सुखाड़, अगलगी, नक्सली वाकिया या दीगर तरह के कुदरती या मसनुई आफ़ात के वक़्त एयरफोर्स हेलीकॉप्टर से दौरा होता है। जब अदायगी की बारी आती है, तो मामला फायल और उसकी अमल में आकर फंस जाती है।
इसी तरीका कार की वजह एयरफोर्स का रियसती हुकूमत पर हेलीकॉप्टर किराया मद का 23 करोड़ बकाया है। एक मामला 17 साल पुराना 1997 का भी है। एयरफोर्स से हेलीकॉप्टर लेकर दाखला महकमा, आफत इंतेजामिया, पानी वसायल, सड़क तामीर, शहर तरक़्क़ी समेत दीगर महकमों के आला अफसरों ने बिहार के आफत मुतासीर इलाकों का दर्जनों बार दौरा किया।
तौविल वक़्त से रकम बकाया को लेकर बिहटा एयरफोर्स की तरफ से आफत इंतेजामिया महकमा को खत लिखा गया है। इसमें 1997 से 2011 तक बिहटा एयरफोर्स से लिये गये हेलीकॉप्टर का मुकाममिल तफ़सीलात है। मसलन, किस तारीख को बिहार हुकूमत ने एयरफोर्स से हेलीकॉप्टर ली। खत में हेलीकॉप्टर लेने के बाद एयरफोर्स सब-स्टेशन की तरफ से भेजे गये बिल नंबर का भी जिक्र है।
हेलीकॉप्टर लेने के बाद एयरफोर्स सब-स्टेशन की तरफ से ज्यादतर 15 दिनों के अंदर ही बिल की अदायगी के लिए दरख्वास्त किया गया है। गुजिशता महीने जब एयरफोर्स की तरफ से बिल अदायगी की बात की गयी, तो महकमा ने मुकम्मिल तफ़सीलात मांगा।