दिल्ली: हाईकोर्ट ने ओएनजीसी के बोर्ड डायरेक्टर के रूप में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा की नियुक्ति मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है| हाईकोर्ट ने कहा की वह इस मामले में कोई दखल नहीं देंगे|मुख्य न्यायधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ती सी हरी शंकर की पीठ ने ओएनजीसी के डायरेक्टर के रूप में शशि शंकर की नियुक्ति रद्द करने के लिए जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है|संबित पात्रा टीवी चैनल पर सबसे लोकप्रिय चेहरा माने जाते हैं| उन्हें बोर्ड में गैर-सरकारी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। अन्य नियुक्तियों में कर्नाटक यूनिट के पार्टी महासचिव एसटीसी बोर्ड पर नियुक्त नियुक्त किया गया है| साथ ही पूर्व राज्यसभा सांसद, भरतसिंह प्रभातसिंह परमार की भी राज्य व्यापार निगम बोर्ड पर नियुक्ति हुई है|
गैर-सरकारी संगठन, एनर्जी वॉचडॉग संबित पात्रा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें नियुक्त करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। संगठन का कहना है कि संबित पात्रा एक डॉक्टर हैं और उनका इस बोर्ड में कुछ काम नहीं है क्योंकि यह दावा का क्षेत्र नहीं है| हालाँकि केंद्र ने इस नियुक्ति के बचाव में कहा की संबित इस पद के योग्य थे इसलिए उन्हें दिया गया|
ओएनएनजीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में शंकर की नियुक्ति के आधार पर इसका विरोध किया गया था कि पीएसयू द्वारा अनुबंध के पुरस्कार की जांच के सिलसिले में उन्हें छह महीने तक फरवरी 2015 में निलंबित कर दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनजीओ ने यह भी कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के निलंबन का कोई रिकॉर्ड नहीं है| यह पहली बार नहीं है कि भगवा पार्टी ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बोर्डों में अपने प्रमुख कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया है।
इससे पहले भी केंद्र की भाजपा सरकार ने अपने प्रमुख नेताओं को प्लम अपॉइंटमेंट्स के साथ-साथ तथाकथित नवरत्न पीएसयू में स्वतंत्र निदेशक के रूप में पुरस्कृत किया था।