औरंगाबाद। औरंगाबाद में पहली बार गूंगे-बहरे का राज्य व्यापी स्तर पर एक परिचयात्मक बैठक हुई। इस बैठक में पैंतीस दूल्हों और पैंसठ दुल्हनों और उनके रिश्तेदारों ने भाग लिया। इस अवसर पर मंच पर उम्मीदवारों ने अपना परिचय प्रस्तुत किया।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार महाराष्ट्र के मुस्लिम समाज में अपनी तरह का यह पहला सम्मेलन करार पाया, जिसमें देश के कोने कोने से लोगों ने भाग लिया है।
आमतौर पर गूंगे-बहरे लोगों के संबंध में यह माना जाता है कि वे बातचीत में असमर्थ होते हैं लेकिन हकीकत यह है कि उनकी अपनी एक अलग दुनिया है और अपनी दुनिया में वे किसी के मोहताज नहीं। इसका अंदाजा औरंगाबाद में हुए गूंगा बहरा दूल्हा दुल्हन परिचयात्मक बैठक में हुआ। इस परिचयात्मक बैठक में 35 लड़कों और 65 लड़कियों ने भाग लिया, जिनमें मैट्रिक से लेकर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट तक के उम्मीदवार शामिल थे।
उल्लेखनीय बात यह रही कि यहां भी लड़कियां ही शिक्षा के क्षेत्र में आगे दिखाई दी। दिन भर चले इस सम्मेलन में पहले लड़कों ने मंच पर खुद को परिचित करवाया जबकि दूसरे चरण में लड़कियों का परिचयात्मक सत्र हुआ।
मुस्लिम समाज मूक बधर वेलफेयर एसोसिएशन पिछले पांच वर्षों से गूंगा बहरा कल्याण के क्षेत्र में काम कर रही है। यह गूंगा बहरा युवाओं को उनके बेहतर जिंदगी के लिए बंधन में बाँधने की एक कड़ी है। इस परिचयात्मक बैठक में छत्तीसगढ़, गुजरात, धूलिया और मध्य प्रदेश से पहुंचे लोगों ने भाग लिया। परिचयात्मक बैठक में शरीक लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि देश के अन्य क्षेत्रों में इस तरह की बैठक का चलन है लेकिन राज्य के मुस्लिम समाज में यह पहला सम्मेलन है जिसमें विकलांगों को वैवाहिक बंधन में बांधने के लिए पहल की गई है।