औरत का जिस्म मंदिर जैसा रेप की मुतास्सिरा व मुल्ज़िम के बीच नहीं हो सकता समझौता: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुध के रोज़ एक अहम फैसले में कहा कि रेप के मामले में शादी पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. आली दालत ने कहा कि रेप के मामलों में मुल्ज़िम और मुतास्सिरा के खिलाफ सालसी या सुलह की कोशिश मुतास्सिरा की इज़्ज़त के खिलाफ और गलत फैसला है.

खातून का जिस्म उसका मंदिर होता है और उसे नापाक करने वालों के लिए कोई समझौता नहीं होना चाहिए.

अदालत ने निचली अदालत के एक फैसले को चुनौती देने वाली मध्य प्रदेश सरकार की दरखास्त कुबूल करते हुए यह अहम तब्सिरा किया , जिसमें रेपिस्ट को शादी की पेशकश कुबूल कर लेने पर मामले से बरी कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि रेप का मुल्ज़िम या मुतास्सिरा के बीच शादी के नाम पर समझौता वास्तव में ख़्वातीन की इज़्ज़त से समझौता है. साथ ही यह इस तरह के समझौते कराने वाली पार्टी की हस्सासियत का भी आइना है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर वह रहम वाला रवैया नहीं अपना सकता. अदालत ने यह भी कहा कि इस बारे में निचली अदालत का फैसला उसकी भारी भूल व हस्सासियत को दिखाता है, जिसने शादी की पेशकश को कुबूल कर लिए जाने के बाद रेपिस्ट को मामले से बरी कर दिया.

दरअसल, मदनलाल नामी शख्स के खिलाफ सात साल की बच्‍ची से रेप का मामला दर्ज किया गया था. उसे मध्‍य प्रदेश की अदालत ने इस जुर्म में मुजरिम मानते हुए पांच साल कैद की सजा सुनाई, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे छेड़छाड़ का मामला बताते हुए इस बुनियाद पर रिहा कर दिया कि वह पहले ही एक साल से ज्‍यादा वक्‍त जेल में बीता चुका है.

इसके खिलाफ मध्‍य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को हुक्म दिया कि वह केस को दोबारा से सुने. साथ ही अदालत ने मदनलाल की फौरन गिरफ्तारी के हुक्म भी दिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह का समझौता ख्वातीन की इज़्ज़त के खिलाफ है.