यासीन भटकल को दहश्तगर्दी के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार किए जाने पर एक टी वी चैनल को दिए गए बयान पर समाजवादी पार्टी के रहनुमा और सीनियर कारकुन कमाल फ़ारूक़ी की क़ौमी मजलिस-ए-आमला के सेक्रेटरी के ओहदे से बरतरफ़ी एक बड़े तनाज़ा का रुख़ लेती जा रही है।
कई मुस्लिम तंज़ीमें और मुफ़क्किर उसे अक़ल्लियती आवाज़ का गला घोंटे जाने की एक और मिसाल के तौर पर देख रहे हैं। वहीं दूसरी जानिब एक तबक़ा ऐसा है जो समाजवादी पार्टी के सिनियर लीडर प्रोफेसर राम गोपाल यादव के ज़रिया कमाल फ़ारूक़ी को बरतरफ़ किए जाने को सही ठहरा रहे है।
मीडिया ने कमाल फ़ारूक़ी से बात की और जानना चाहा कि आख़िर उन्होंने ऐसा क्या कहा कि गुजिश्ता दो साल से दिल्ली में समाजवादी पार्टी का चेहरा बन कर सामने आए कमाल फ़ारूक़ी को उनके ओहदे से हटना पड़ा। कमाल फ़ारूक़ी का कहना है कि वो हमेशा अक़ल्लियती तबक़ा और क़ौमी मुफ़ाद की बात करते आए हैं।
यासीन भटकल के पकड़े जाने पर उन का बयान एक ख़ास टी वी चैनल ने तोड़ मरोड़ कर पेश किया जिस के नतीजा में ये बतंगड़ बन कर सामने आया। वो अब तक समझ नहीं पारहे हैं कि उन्होंने ऐसा क्या कहा जो समाजवादी पार्टी के सिनियर रहनुमाओं को बुरा लगा। एक ख़ुसूसी बातचीत में कमाल फ़ारूक़ी ने कहा कि मुझे ये बात समझ में नहीं आरही है कि मैंने ऐसा क्या कहा जो हमारे अपनों को ग़लत लगा।
ताहम फ़ारूक़ी ने वाज़िह करदिया कि वो इस फैसले पर कोई भी तबसरा करने को तय्यार नहीं जब तक उनकी पार्टी सरबराह मुलाइम सिंह यादव से बात ना होजाए और ख़ुद मुलाइम सिंह अपना रुख़ वाज़िह ना करदें। फ़ारूक़ी कहते हैं मौं इंतिज़ार करूंगा मुलाइम सिंह यादव मुस्लमानों के बहुत बड़े ख़ैरख़्वाह हैं। वो मेरी बात को ज़रूर सुनेंगे। कमाल फ़ारूक़ी का कहना है कि उन्होंने वही कहा जो समाजवादी पार्टी के इंतिख़ाबी मंशूर में दर्ज है।