हिंदुस्तान को दुनिया की सब से बड़ी जमहूरियत होने का एज़ाज़ हासिल है और मुल्क का दस्तूर हर शहरी को बिला लेहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत रंग-ओ-नसल ज़ात पात-ओ-अक़ीदा के मसावी हैसियत से देखता है और सब को तरक़्क़ी, ख़ुशहाली, इज़्ज़त-ओ-वक़ार के साथ जीने का हक़ है| सब से अच्छी बात ये है कि हमारे वतन-ए-अज़ीज़ में अक्सरियत उन लोगों की है, जो `जियो और जीने दो’ में यक़ीन रखते हैं और इस पर अमल भी करते हैं लेकिन यहां अंग्रेज़ों और हिंदुस्तान के दुश्मनों के उसे नाजायज़ विरसा भी हैं जिन्हें हम फ़िरकापरस्त और शरपसंद कहते हैं।
लड़ाओ और तक़सीम करो से मुताल्लिक़ अंग्रेज़ों के फार्मूले पर अमल पैरा ये नसल क़ौम परस्ती और मज़हब के नाम पर जन्नत निशॉँ हिंदुस्तान की तबाही पर तुली हुई है और चाहती है के किसी ना किसी तरह हिंदुस्तान में अमन-ओ-अमान तबाह-ओ-बर्बाद किया जाए। बेचैनी की कैफ़ीयत पैदा की जाए। मुख़्तलिफ़ मज़ाहिब के मानने वालों के दरमियान नफ़रतों-ओ-अदावतों की दीवार खड़ी की जाए और किसी भी तरह मादर-ए-वतन को तरक़्क़ी-ओ-ख़ुशहाली, अमन-ओ-इत्तिहाद और आपसी भाई चारगी से रोका जाए। अगर इस तनाज़ुर में आप या हम किसी मासूम तालिब-ए-इल्म से लेकर यूनीवर्सिटी के प्रोफ़ेसरों से ये सवाल करें कि मुल्क में तबाही-ओ-बर्बादी को फ़िर्कापरस्ती लड़ाई झगड़े का माहौल पैदा करते हुए मईशत ख़राब करने वाले कौन होते हैं?
तो इस सवाल का जवाब होगा ग़द्दार फिर उन से कहा जाएगा मुल्क में मज़हब के नाम पर अक़लीयतों को अपनी तक़रीरों, तहरीरों और तशद्दुद के ज़रीया नुक़्सान पहुंचा कर सारी दुनिया में हिंदूस्तान को बदनाम करने वाले कौन होते हैं? तो इस सवाल के जवाब में भी वो यही कहेंगे ग़द्दार यानी हिंदूस्तान को नुक़्सान पहूँचाने वाले हर फ़र्द हम हिंदूस्तानियों की नज़र में ग़द्दार मुल्क दुश्मन अंग्रेज़ों के नाजायज़ विरसा ही रहेंगे। ऐसी ही ग़द्दार अब लगता है हमारे शहर हैदराबाद फ़र्ख़ंदा बुनियाद को निशाना बनाने में मसरूफ़ हैं। इस तरह हम ने धूल पेट में हिंदू वाहिनी की जानिब से पुलिस में भर्ती के लिए मख़सूस ज़हन के हामिल नौजवानों को ट्रेनिंग देने से मुताल्लिक़ तफ़सीलात से भी अपनी रिपोर्ट के ज़रीया वाक़िफ़ करवाया था।
अब करंसी नोटों पर हिंदू राष्ट्र बनाने की तरग़ीब देने से मुताल्लिक़ पयाम से आम आदमी को भी अंदाज़ा होता है के शरपसंद किसी ना किसी तरह हैदराबाद को निशाना बनाने के दर पे हैं और इस में बैरून-ए-रियासत के फ़िर्क़ा परस्तों का अहम रोल है। अब यहां ये सवाल पैदा होता है के क्या पुलिस को शहर के मुख़्तलिफ़ बाज़ारों में गश्त करती ये करंसी नोट नज़र नहीं आते? आख़िर हुकूमत और पुलिस इस संगीन मसला पर तवज्जा मर्कूज़ क्यों नहीं कर रही है? पुलिस अच्छी तरह जानती है के चारमीनार से मुत्तसिल गै़रक़ानूनी मंदिर के नाम पर शहर के हालात ख़राब करने में दीगर रियास्तों से आकर यहां बस जाने वाले शरपसंदों का रोल है और ये लोग ना सिर्फ़ शहर हैदराबाद बल्कि यहां के अमन पसंद शहरियों के लिए भी ख़तरा बने हुए हैं।
कमिशनर पुलिस अनुराग शर्मा का शुमार सुलझे हुए और संजीदा ओहदेदारों में होता है और वो हैदराबादी रिवायात से भी अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं। ऐसे में उन से उम्मीद की जा सकती है के वो करंसी नोटों के ज़रीया फैलाई जा रही नोट की इस मुहिम का फ़ौरी नोट लेते हुए इस के पीछे कारफ़रमा हैदराबाद के दुश्मन अनासिर को बेनकाब करेंगे। इस तरह की मुहिम चलाने वाले बेवक़ूफ़ों को ये याद रखना चाहीए कि वो लाख कोशिश करलें शहर के लोग उन के बहकावे में नहीं आयेंगे और उन का ये शैतानी हाल एक दिन ख़ुद उन के लिए वबाल बन जाएगा।
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