दर्ज फ़हरिस्त ज़ातों के लिए सरकारी नैकरीयों में मुख़्तलिफ़ ख़ाली असामियों को बतौर बैकलॉक पुर करने की गुंजाइश है। इसी तरह अक़लियतों के लिए मुख़तस शरह तनासुब जो भी ख़ाली असामीयां पाई जाती हैं उन्हें भी बैकलॉक के तहत पर करने के लिए बैकवर्ड क्लासेस ऐंड माइनॉरिटीज़ की लेजिस्लेचरस ज़ेली कमेटी ने रियासती हुकूमत को सिफ़ारिश की है।
मज़कूरा कमेटी के चेरमैन तनवीर सेठ रुकने असेंबली ने यहां स्वर्णा सुविधा के असेंबली लॉन्ज में उर्दू अख़बारी नुमाइंदों के साथ एक मुलाक़ात में इस बात का इन्किशाफ़ किया।
उन्होंने बताया कि रियासत में अक़लियतों को नौकरीयों में 4 फ़ीसद रिज़र्वेशन की सहूलत हासिल है मगर मौजूदा आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ जिन अक़लियतों की सरकारी नौकरीयों में तक़र्रुरी हुई है इन का तनासुब सिर्फ़ 1.61 फ़ीसद है जबकि बक़ीया जुमला 2.39 फ़ीसद नौकरीयों में अक़लियतों की भर्ती बैकलॉग के ज़रीये मुकम्मिल की जा सकती है।
तनवीर सेठ ने बताया कि रियासत के 5886 सरकारी उर्दू लोअर प्राइमरी स्कूल और हाइर प्राइमरी स्कूलों में कुल 13 हज़ार से ज़्यादा असामीयां ख़ाली हैं। इसी तरह 126 सरकारी उर्दू हाई स्कूलों में हज़ारों ओहदे ख़ाली हैं।
इन तमाम ख़ाली असामियों को पुर करने कमेटी ने सिफ़ारिश की है। उन्होंने वाज़िह किया कि 1992 में अक़लियतों को 4 फ़ीसद रिज़र्वेशन की सहूलत से आरास्ता किया गया ठीक तरीके से इस पर अमल नहीं हुआ जिस के मुताल्लिक़ कमेटी ने बारीकी से जायज़ा लेते हुए मुनासिब कार्रवाई की सिफ़ारिश की है।