जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने बुधवार को शाम 4.30 बजे मुख्यमंत्री पड़ की शपथ ली, जिसमे जेडीएस, कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों के भी नेता शामिल थे। लेकिन इन सबके बीच जेडीएस का समर्थन करने वाले आल इंडिया इतेहदुल मुस्लिमीन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी कहीं से कहीं तक नज़र नहीं आए। जबकि जेडीएस को चुनाव जिताने के लिए ओवैसी ने समर्थन ही नहीं दिया बल्कि जेडीएस के उम्मीदवारों के लिए प्रचार भी किया।
अब तक उनपर भाजपा को फायदा पहुचाने का आरोप लगता रहा था इसलिए वे कर्नाटक में बदली हुई रणनीति के साथ चुनाव प्रचार में उतरे। उन्होंने कर्नाटक में अपनी पार्टी के किसी उम्मीदवार को ना लडाने का फैसला लेकर सबको चौका दिया और इस ऐलान के साथ उन्होंने जनता दल सेक्युलर के उम्मीदवारों के लिए जमकर प्रचार भी किया था, लेकिन कुमारस्वामी ने उन्हें अपने शपथ ग्रहण का निमंत्रण नहीं दिया, जबकि ओवैसी ने कुमारस्वामी को सबसे पहले सीएम बनने की बधाई दी थी।
विशेषज्ञों की मानें तो ओवैसी को नही बुलाये जाने के पीछे कांग्रेस द्वारा जेडीएस को ओवैसी को ना बुलाये जाने का दवाब बताया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार,ओवैसी को बुलाये जाने पर भाजपा इसको बड़ा मुद्दा बनाकर कांग्रेस को घेर सकती थी इसलिए कांग्रेस ने जेडीएस को ओवैसी को ना बुलाये जाने को साफ़ तौर पर बता दिया था। गठबंधन की मज़बूरी को समझते हुए कुमारस्वामी ने कांग्रेस की गुज़ारिश मान ली थी।