कलीदी ओहदों के तक़र्रुत के लिए क़ानून की ज़रूरत

बी जे पी लीडर एल के अडवानी ने आज कहा कि पी जे थॉमस की बहैसीयत चीफ़ वीजील्नेस कमिशनर (सी वि सी) नामज़दगी के बारे में हालिया तनाज़ा के पेशे नज़र कोई क़ानून ऐसा मंज़ूर किया जाना चाहीए जो दस्तूरी ओहदों जैसे इलेक्शन कमीशन, सी ए जी, यू पी एस ई वग़ैरा के लिए तक़र्रुत को सयासी रंग में ढलने से दूर रखे।

अडवानी ने अपने ब्लॉग पर कहा कि मेरा एहसास है कि अब कोई मुनासिब फ़ैसला हो जाना चाहीए कि कलीदी दस्तूरी और क़ानूनी इदारों के लिए तक़र्रुत को ग़ैर सयासी रखा जाये। उन्होंने यू पी ए हुकूमत की जानिब से इख़्तेयारात के बेजा इस्तेमाल पर तशवीश ज़ाहिर की चाहे वो थॉमस के बहैसीयत सी वे सी तक़र्रुर का मुआमला हो या वज़ीर-ए-क़ानून सलमान ख़ुरशीद की जानिब से अक़ल्लीयतों के लिए कोटा तबसिरे हो जिसने इलेक्शन कमीशन को सदर जमहूरीया प्रतिभा पाटिल के मकतूब तहरीर करने पर मजबूर लिया।

सी वि सी के तक़र्रुर के मामले में लोक सभा में अपोज़ीशन की लीडर सुषमा स्वराज ने नाराज़गी का इज़हार किया था इसके बावजूद यू पी ए हुकूमत टस से मस नहीं हुई।

अडवानी ने कहा कि वो बतौर ख़ास इलेक्शन कमीशन, कमपटरोलर ऐंड एडीटर जनरल, यू पी एस सी और पब्लिक इ‍ंटरप्राइजेज़ स्लेक्शन बोर्ड को इस फ़हरिस्त में शामिल करने का मश्वरा देना चाहेंगे। बस यही करना है कि अपोज़ीशन के क़ाइदीन (दोनों ऐवानों के क़ाइदीन) को इन स्लेक्शन कमेटीयों में शामिल किया जाये जो अब तक ये काम अंजाम देती आई हैं।

साबिक़ नायब वज़ीर-ए-आज़म ने निशानदेही की कि इलेक्शन कमीशन की जानिब से सलमान ख़ुरशीद की सरज़निश के बाद हुकूमत ने इंतेख़ाबी ज़ाबता-ए-अख़लाक़ की किसी ख़िलाफ़वर्ज़ी से मुताल्लिक़ उमोर में इलेक्शन कमीशन के इख़्तेयारात घटाने की कोशिश शुरू की , लेकिन समझदारी ग़ालिब आ गई और अमलन ऐसा नहीं हुआ।