कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर मोदी को गहरी चिंता और दुख

नई दिल्ली: कश्मीर की जनता के लिए उपयोग की कोशिश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां की स्थिति पर ‘गहरी चिंता और दुख’ ‘व्यक्त किया। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से मिलकर जम्मू कश्मीर में समस्याओं का स्थायी और स्थायी समाधान खोजने पर जोर दिया। मोदी ने घाटी में सामान्य परिस्थितियों बहाल करने की अपील करते हुए कहा कि बात‌ होनी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर उमर अब्दुल्ला की आभरकयादत विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगभग 75 मिनट मुलाकात की। बाद में आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा गया कि प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की पेशकश रचनात्मक सुझावों की सराहना की और जनता के कल्याण के लिए सरकार के कार्यकाल को दोहराया।

20 सदस्यीय इस दल में उमर अब्दुल्ला के अलावा उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के सात विधायकों ‘प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष जी ए मीर आभरकयादत पार्टी विधायकों’ माकपा विधायक एम वाई तरीगउम्मी शरीक थे। उन्होंने आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते हुए घाटी में जारी संकट को सुलझाने राजनीतिक घटनाक्रम पर जोर दिया। साथ ही इस बात को सुनिश्चित करने की भी इच्छा है कि पिछले गलती नहीं दोहराई जाए। आधिकारिक बयान जारी होने के तुरंत बाद उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि वह प्रधानमंत्री मोदी जी के बयान का स्वागत करते हैं और जम्मू-कश्मीर समस्या के स्थायी समाधान खोजने में मिलकर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।

46 वर्षीय कार्यकारी अध्यक्ष नेशनल कांफ्रेंस उमर अब्दुल्ला ने मीडिया के प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर समस्या का राजनीतिक समाधान खोजने की अपील की ताकि न केवल राज्य बल्कि देश भर में स्थायी शांति बरकरार सुनिश्चित हो सके। प्रधानमंत्री ने वार्ता की जरूरत पर जोर दिया ताकि संविधान के ढांचे में रहते हुए उन्होंने राजनीतिक दलों से भी मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने की इच्छा। घाटी की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता और दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अशांति के कारण जो लोग जीवन से वंचित हो गए ब हमारा ही हिस्सा थे। हमारे देश का हिस्सा थे चाहे वह महलूक युवा हो ‘सुरक्षा कर्मचारी या फिर पुलिस हो। इससे हमें बेहद दुख पहुंचा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और राष्ट्र राज्य जम्मू-कश्मीर के साथ है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी राजनीतिक दलों को जनता तक पहुंच कर यह संदेश देना चाहिए। उन्होंने राज्य और यहां के लोगों के विकास का संकल्प लिया और राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली की अपील की। कश्मीर घाटी में 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वाणी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद हिंसा शुरू हुआ जो अब तक 60 से अधिक लोग मारे गए हैं। उमर अब्दुल्ला ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के इस रुख से सहमत थे कि केवल विकास ही संकट का जवाब नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से हम से कहा कि केवल विकास ही समस्या का समाधान नहीं कर सकती। हालांकि उन्होंने इस बयान के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से इनकार किया।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम दिल्ली आने के बाद विभिन्न नेताओं से बैठकों में यही बात कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर की समस्या को विशेषकर मौजूदा संकट की स्थिति में सही संदर्भ में देखा जाए जिसके बाद ही समाधान खोजने की जरूरत है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमारे सुझावों की ध्यानपूर्वक सुनवाई और ज्ञापन स्वीकार की। उन्होंने एक और टोईट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से प्रतिनिधिमंडल के लिए समय देने पर धन्यवाद किया। ज्ञापन में पैलेट गंस के उपयोग पर रोक का त्वरित दौरा करने की मांग की गई। इसके अलावा उत्पीड़न ‘धावे और गिरफ्तारियों का सिलसिला भी रोकने पर जोर दिया क्योंकि इससे पहले से बदतर स्थिति और बिगड़ जाएगी। इसके अलावा यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के खिलाफ भी है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली कल दिए गए बयान के बारे में पूछे जाने पर जिसमें उन्होंने कहा था कि सनगबारी जो कोई सत्य गरही नहीं बल्ला आक्रामकता पसंद लोग थे। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि प्रधानमंत्री ने एसाकछ नहीं कहा। अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि हम जम्मू-कश्मीर पर राजनीति करने की जरूरत नहीं ‘इसके लिए हमें बाद में काफी समय रहेगा। प्रतिनिधिमंडल ने राजनीतिक पहल करते हुए इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। कल उपाध्यक्ष कांग्रेस राहुल गांधी से मुलाकात कर कश्मीर की स्थिति से अवगत कराया था।