कसाब की फांसी की सुप्रीम कोर्ट की मुहर

मुंबई पर हुए 26/11 के हमलों में मुजरिम पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। कसाब की मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। कसाब को मुंबई की निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी जिसके बाद मुंबई हाई कोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा था। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ कसाब ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब निचली अदालत कसाब की फांसी की तारीख मुकर्रर करेगी।

जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की बेंच ने कहा कि कसाब ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश में शामिल होने का अपराध किया है। जजों ने कहा कि मुंबई पर आतंकी हमले के तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर अजमल कसाब को मौत की सजा देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। वकीलों ने कहा कि मुंबई पर आतंकी हमले के तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर मोहम्मद अजमल कसाब को मौत की सजा देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। जजों ने कसाब की इस दलील को ठुकरा दिया कि उसके मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल को सुनवाई पूरी की थी। कोर्ट ने कसाब की याचिका पर करीब ढाई महीने सुनवाई की और इस दौरान आतंकी हमले के सिलसिले में इस्तगासा और बचाव पक्ष की दलीलों को सुना। कोर्ट ने कसाब की मौत की सजा पर पिछले साल 10 अक्टूबर को रोक लगा दी थी।

हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका में कसाब ने दावा किया था कि ‘अल्लाह’ के नाम पर उसे रोबोट की तरह यह अपराध करने के लिए सिखाया गया। उसका तर्क है कि उसकी उम्र को देखते हुए उसे मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कसाब की ये दलीलें भी खारिज कर दीं।