कइ बार कोई काम या मसला एसा पेश आता है कि इस के करने या ना करने में उलझन सी रहती है, तो एसी सूरत में इन आमाल पर अमल कीजिए, इंशा अल्लाह ताला कामयाबी होगी।
(१) मग़रिब ओर इशा के दरमयान एक हज़ार मर्तबा “या रशीद”( ’’یارشید‘‘) पढ़ कर दुआ करें, ख़ाब में मालूम हो जाएगा।
(२) “याबदीअ” (’’یابدیع‘‘)पढ़ते हुए सौ जाएं, ख़ाब में मालूम हो जाएगा।
(३) बिस्तर पर लेट कर एक हज़ार मर्तबा “या हादी, या रशीद, या ख़बीर”( ’’یاہادی، یا رشید، یاخبیر‘‘) पढ़ कर सोने से ख़ाब में मालूम होगा।
(४) दो रकात नफ़ल हाजत कि निय्यत से इस तरह पढ़िए कि सूरा फ़ातिहा के बाद सूरा इख़लास 11/11 मर्तबा दोनों रकातों में पढ़ कर ये दरूद शरीफ़ पढ़िए: ’’اللّٰھم صل علی محمد وعلی آل محمد السلام علیک یاایھاالنبی ورحمۃ اللہ وبرکاتہ السلام علیک یارسول اللہ السلام علیک یاخیر خلق اللہ السلام علیک یاشفیع المذنبین السلام علیک وعلی آلک واصحابک اجمعین اللھم صل علی محمد کماتحب وترضاہ‘‘۔ پھر ’’یا علیم علمی، یا بشیر بشرنی، یا خبیر اخبرنی، یامبین بین لی‘‘)हर एक सौ सौ बार पढ़ कर दुआ कीजिए। अब ज़रूर मालूम हो जाएगा