सोमवार को राष्ट्रपति ट्रम्प ने अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध में वृद्धि की घोषणा की। उन्होंने अफगानिस्तान के पड़ोसी, पाकिस्तान के लिए भी एक चेतावनी जारी की। राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में मदद करने के लिए भारत के मोदी सरकार को साथ लेकर रणनीतिक साझेदारी करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जहां एक तरफ पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई तो वहीं भारत के साथ सामरिक भागीदारी करने की बात कही। ट्रंप ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि पाक आतंकियों के लिए जन्नत बन गया है। उन्होंने कहा कि आतंकियों और अपराधियों को पनाह देने से पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हम भारत के साथ एक गहरी रणनीतिक साझेदारी विकसित करेंगे, लेकिन हम भारत से उम्मीद करते हैं कि वो अफगानिस्तान मुद्दे पर हमारी पहले से ज्यादा मदद करेंगे।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस कदम से इस्लामाबाद के लिए यह संकेत हो सकता है कि अमेरिका दक्षिण एशियाई प्रतिद्वंद्वियों के बीच संघर्ष में भारत की वापसी हागी, भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु हथियारबंद देश हैं। दोनों ही देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों से संघर्ष के और भी पेंचीदा होने का डर बना रहता है और यह हो भी सकता है।
ट्रंप ने कहा कि अब हम पाकिस्तान के बारे में चुप नहीं रह सकते हैं, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों के लिए एक सुरक्षित जगह है। तालिबान और अन्य समूह जो इस क्षेत्र और उससे आगे के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. पाकिस्तान को अफगानिस्तान में हमारे प्रयासों के साथ सहयोग करने के लिए बहुत कुछ करना होगा.
पाकिस्तानी पत्रकार रजा रुमी (जिन्हें 2014 में एक तालिबान संबद्ध आतंकवादी समूह द्वारा निशाना बनाया गया था। उनके सहयोगी उस हमले में मारे गए थे। इसके बाद रूमी न्यूयॉर्क के बाद इथाका कॉलेज और बाद में अमेरिका चले गए हैं। )इस मामले में अलग राय रखते हैं. पत्रकार रूमी कहते हैं अफगानिस्तान में अमेरिकी के उपस्थिति के 16 साल बाद भी अरबों डॉलर खर्च करने के बाद अमेरिकी अपने आप को एक तंग कोने में पाती है. मतलब विजय का कोई संकेत नहीं है। और इसके बजाए, जो रास्ता चुना गया है वह पाकिस्तान के बलिदान की तरह है, जो कि खुद ही अफगानिस्तान की स्थिति के कारण अस्थिर हो गया है, जिससे पाकिस्तान में करीब 70,000 लोगों की मौत हो गई है, जिन्में नागरिक और सेना दोनों शामिल हैं.
पत्रकार रूमी के अनुसार इस मामले में भारत को शामिल करने के लिए और भी चिंताजनक संकेत होने वाला है क्योंकि भारत और पाकिस्तान सात दशकों से एक दूसरे का विराध करते रहे हैं। उन्होंने चार युद्ध लड़े, और ये दोनों परमाणु हथियारों वाला देश है। और अगर आप वास्तव में इस क्षेत्र में उस संघर्ष को बढ़ाते हैं, तो यह सुपर पावर के लिए बहुत अच्छा नहीं है
पिछले कुछ वर्षों में, वाशिंगटन और पाकिस्तान के बीच अविश्वास इतना बढ़ गया है कि इस बिंदु पर जहां पाकिस्तान सेना प्रमुख ने कहा है कि हमें आपकी सहायता की ज़रूरत नहीं है और हमें आपके विश्वास की आवश्यकता है।