कांग्रेस लीडर और कारोबारी नवीन जिंदल, झारखंड के साबकी वजीरे आला मधु कोड़ा, साबिक़ कोयला रियासती वज़ीर दसारी नारायण राव और सात दीगर को खुसुसि सीबीआइ अदालत ने जुमा को जमानत दे दी।
अदालत ने उनसे सुबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने या गवाहों को मुतासीर नहीं करने का हुक्म दिया। अदालत ने इन्हें राहत दी, जब वे पेश हुए और इस बुनियाद पर बेल मांगी कि वे तहक़ीक़ात में शामिल हुए हैं और उनकी इंसाफ की जद से भागने की कोई खदशा नहीं है। खुसुसि सीबीआइ जज भरत पाराशर ने छह दीगर को भी एक लाख रुपये के ज़ाती मुचलके और उतनी ही रकम की जमानत रकम पर बेल दी।
मुल्ज़िम को हिदायत दिया कि वे अदालत के बिना इजाजत मुल्क न छोड़ें। एक जून को दस्तावेजों की जांच की तारीख तय की। अदालत ने कहा कि मुल्जिमान के खिलाफ इल्ज़ाम संगीन हैं, क्योंकि वे समाज में आला ओहदे पर बैठे हैं।
यह भी सही है कि जांच के दौरान किसी को सीबीआइ ने गिरफ्तार नहीं किया। कोई इल्ज़ाम नहीं हैं कि जब भी उन्हें बुलाया गया, जांच में शामिल नहीं हुए। इसलिए अदालत के किसी तफ़सीलात में जाने की बजाय तमाम को 10 मुल्ज़िम को जमानत देती है।