नई दिल्ली 27, अप्रैल – कोयला घोटाले को लेकर वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह के इस्तीफे की बी जे पी का मुतालिबा और मग़रिबी बंगाल में चिट फ़ंड घोटाले समेत मुख़्तलिफ़ मसाइल पर हुए ज़बरदस्त हंगामे के सबब पार्लियामेन्ट की कार्रवाई जुमा को दिन भर के लिए मुल्तवी हो गई।
बजट सैशन के 22 अप्रैल से शुरू हुए दूसरे मरहले में अब तक दोनों ऐवानों में एक भी दिन सवाल या दीगर कोई काम नहीं हो पाया।
बी जे पी, जनता दल, तृणमूल कांग्रेस और बाएं बाज़ू की जमातों के अराकीन ने लोक सभा में ऐवान के सामने आकर अपने अपने मसाइल को लेकर नारेबाज़ी की जिस से ऐवान की कार्रवाई नहीं चल पाई।
बी जे पी वज़ीर-ए-आज़म के इस्तीफ़े के मुतालिबे पर क़ायम है. बाएं बाज़ू की जमातें मग़रिबी बंगाल के चिट फ़ंड घोटाले को लेकर नारेबाज़ी कर रहे थे। इसी मामले पर तृणमूल कांग्रेस रुकन भी ऐवान के सामने थे, लेकिन वो मर्कज़ी वज़ीर ख़ान चौधरी के इस्तीफे का मुतालिबा कर रहे थे।
जनता दल रुकन को ख़ुसूसी माली पैकेज की दरख़ास्त पर पोस्टर लेकर सीट के सामने आ गए तो अरकान ने पी सी चाकू को जे पी सी के सरबराह के ओहदे से हटाए जाने की मांग को लेकर अख़बार की कापीयां दिखाई ये. समाजवादी पार्टी अराकीन भी आसन के सामने नारेबाज़ी कर रहे थे। वो अमेरीका में बोस्टन के हवाई अड्डे पर उत्तरप्रदेश के वज़ीर-ए-आज़म ख़ां से सवाल जवाब किए जाने की मुख़ालिफ़त कर रहे थे।
हंगामे के बीच सदारत चेयरमैन गिरजा वयास ने ऐवान के इजलास दिन भर के लिए मुल्तवी कर दिया. राज्य सभा में भी बी जे पी, समाजवादी पार्टी, अन्नाद्रमुक और बीजू जनता दल के अरकान की नारेबाज़ी और हंगामे की वजह के तौर पर मसला वही थे, जो लोक सभा में थे। यहां भी हंगामे की वजह से ऐवान की मीटिंग नहीं चल पाई।
कमल नाथ ने कहा कि यू पी ए की मीटिंग में पार्लियामेन्ट में पिछ्ले चार दिनों से चल रहे तात्तुल और उसे दूर करने के तरीक़ों पर भी बेहस हुई। उन्होंने कहा कि हम ने इस बात पर बेहस की कि बेहतर ताल मेल के ज़रीये अगले हफ़्ते से पार्लियामेन्ट कैसे चले। पी ए सदर ने इत्तिहादी जमातों से बातचीत की।ये बात बुनियादी तौर पर पार्लियामेन्ट में काम काज ठप रहने के और कुछ जमातों की नाक़ाबिल-ए-क़बूल मांग पर मर्कूज़ रही।
पार्लियामेन्ट के बजट सैशन के 22 अप्रैल से शुरू हुए दूसरे मरहले में अब सिर्फ़ नौ दिन काम बाक़ी बचे हैं। वज़ीर-ए-आज़म के इस्तीफ़े की बी जे पी के मुतालिबात के बारे में पूछे जाने पर कमल नाथ ने कहा कि वो हर तीन माह पर ऐसी मुतालिबा करते हैं। इस बीच अश्वनी कुमार के क़रीबी ज़राए ने कहा कि किसी सरकारी महिकमा के किसी क़ानूनी मामले पर वज़ीर-ए-क़ानून से सलाह-ओ-मश्वरा – में कुछ ग़लत नहीं है।
उन्होंने ये भी कहा कि माज़ी में इस तरह की मिसालें हैं जब सी बी आई ने अहम मामले पर वज़ीर-ए-क़ानून से राय ली है। उन्होंने ये भी इशारा दिया कि सी बी आई के साथ मुलाक़ात का ये मतलब नहीं कि सी बी आई की रिपोर्ट को बदला गया।