अब्दुल हमीद अंसारी। Siasat hindi
कोलकाता। हर साल की तरह इस साल भी कोलकाता के मुख्तलिफ मदरसों में 26 जनवरी का जश्न धुम धाम से मनाया गया. मगर इस बार कुछ खास इसलिए भी रहा क्योंकि RSS ने इल्ज़ाम लगाते हुए हिदायत दी कि मदरसों में तिरंगा नहीं फहराया जाता है, उन्हें फहराने के जरूरत है. ये बात झूठी और दावे खोखली साबित हुई.
कोलकाता के संतोष पुर में ‘मदरसा दारूल उलूम असरारिया’ में गणतंत्र दिवस जोशो खरोश के साथ मनाया गया.मदरसे के उस्ताद और तलबा बहुत ही खुशी के साथ तिरंगे को लहराया.बचचों ने नेशनल एंथम जन गण मन अधिनायक जया हे, के साथ सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तां हमारा भी गाया.
26 जनवरी की सुबह से ही इसकी तैयारियों में लगे उस्ताद और तलबा से जब मैंने पुछा के क्या आप जानते हैं कि 26 जनवरी क्यो मनाया जाता है? मेरे इस सवाल के जवाब में मदरसा दारूल उलूम असरारिया के बच्चों ने कहा कि हमारा मुल्क हिंदुस्तान आजाद होने के बाद इस दिन अपने संविधान और कानून को लागू किया, इसलिए हर साल की तरह इस साल भी हम इस दिन इक्कठे होकर गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं.
हमारे उस्तादों ने हमें बताया है कि हमे इस दिन को मनाना चाहिए और हम हर साल की तरह इस साल भी गणतंत्र दिवस मनाने यहां आये हैं. इस मदरसे में मुख्तलिफ जुबान के बच्चे पढ़ते हैं, यहां अरबी, हिंदी, अंग्रेजी और बंगला जुबान में तालीम की गुंजाइश है. यह तमाचा उनलोगों के गाल पर जरूर है जो लोग मदरसों पर सवाल खड़े करते हैं.
मालूम हो कि इस मुल्क की आजादी में मदरसों का काफी अहम रोल रहा है. आज़ादी की लड़ाई की नींव मदरसों में ही रखी गई थी. मदरसा दारूल उलूम असरारिया भी अपने मुल्क की तालीम में अहम रोल अदा कर रहा है, दिनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम के लिए भी आगे निकल बच्चों को खिदमत पेश कर रहा है.