अब्दुल हमीद अंसारी। Siasat hindi
कोलकाता (21 जनवरी) मजदूरों के हितों की दावा करने वाली और मुसलमानों के लिए चैंपियन पुर्व लेफ्ट ने शहर में 1919 से चल रहे हाथ रिक्शा को 2006 विधानसभा में बिल लाकर बंद कर दिया था। जिससे हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए थे।
ममता बनर्जी के हाथों उनको जल्द ही ई – रिक्शा दिया जाएगा। एक मुलाकात में ऑल बंगाल रिक्शा युनियन के जेनरल सेक्रेटरी मुख्तार अली ने कहा कि शहर में इस वक्त 5937 रिक्शा रजिस्टर है, इन्हें चुनाव से पहले ई – रिक्शा दिया जा सकता है।
उन्होंने ने कहा कि बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार ने 2006 में विधानसभा में बिल लाकर हाथ रिक्शा को बंद कर दिया था। उस बिल की मंजूरी को 2007 में पब्लिश किए गया ।उस कानून को कोलकाता कॉरपोरेशन ने ये कहकर उनके लाइसेंस को रिन्युअल करने से इंकार कर दिया कि जब कानून उसे बंद करने का बना दिया गया है तो लाइसेंस कैसे दिया जा सकता है।
इस सिलसिले में ऑल बंगाल रिक्शा युनियन ने हुकूमत के खिलाफ कोलकाता हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की। कोर्ट ने कोलकाता पुलिस और कोलकाता कॉरपोरेशन दोनों को हिदायत दी कि वह इसके बारे में सोचे। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।
मुख्तार अली जो पिछले 23 साल से रिक्शा के मालिक सरदार और रिक्शा चालक भाईयों कि हिमायत में लड़ाई लड़ रहे हैं, जनाब मुख्तार अली ने सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की और ज़ज्बाती अंदाज में कहा कि इस शहर में रिक्शा वालों का काफी योगदान (अहसान) है, जिन्होंने गर्मी, सर्दी और बरसात में भी शहरियों का ख्याल रखा। हर मौसम में शहरियों की खिदमत की है।
अब हमारा फर्ज बनता है कि इनका साथ दे, उनकी रोजी रोटी का मुत्ताबादिल (बिकलप) तलाश करें। ममता बनर्जी ने फौरन चीफ़ सेक्रेट्री और ट्रांसपोट सेक्रेट्री को हुक्म (आदेश) दिया कि उनके लिए मुत्ताबादिल (बिकलप) का इंतजाम करे। उनकी हिदायत का असर ये हुआ के मगरिबी बंगाल (पश्चिम बंगाल) के ट्रांसपोट डिपार्टमेंट (विभाग) के ज्वाइंट सेक्रेट्री के तरफ से रिक्शा युनियन और कोलकाता रिक्शा चालक को एक खास नं० 4585 WT /3M मौरखा 15 दिसंबर मिला। जिसमें मालिक और रिक्शा चालकों को एक मुत्ताबादिल (बैकलपिक) इस्कीम बनाम गोतीधारा टाइट – 2 का 14 पन्नों का एक ड्राफ्ट जारी किया गया। जिसके मुताबिक शहर में माहौल दोस्त ई- रिक्शा चलाया जाएगा। जिसके लिए हुकूमत (सरकार) की रिजनल ट्रांसपोट ऑथॉरिटी और कोलकाता पुलिस देगी।
मुख्तार अली ने कहा कि ई – रिक्शा बैट्री से चलने वाला है, जिसमें दो लोगों की बैठने की गुंजाइश (व्यवस्था) होगी। हुकूमत (सरकार) ने इसकी लागत (खर्च) में 50 % फीसद सबसिडी देने का वादा किया है। लेकिन युनियन और पंचायत की तरफ से 90 % फीसद सबसिडी का मुतालबा (आग्रह) किया है। जब कि रिक्शा चालक 90 % फीसदी रियायत का मुतालबा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में ताखीर (देरी) की वजह ये है कि इस वक्त जो ई – रिक्शा दीगर इलाकों में चल रहे हैं, यानी उनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है, इन्हें तैयार करने वाली कंपनी के पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है।
इसको हासिल करने के लिए 14-15 लाख रुपए लगते हैं, उम्मीद है कि एक हफ्ते के भीतर यह सर्टिफिकेट किसी ई- रिक्शा तैयार करने वाली कंपनी को मिल जाएगा। मुताअलिका कंपनी ई- रिक्शा फराहम करेगी। उसके लिए रिक्शा वालों को जल्द ही ऑथॉरिटी के तरफ फॉर्म दिया जाएगा, इस मामले में कोलकाता रिक्शा चालक, पंचायत के सदर (अध्यक्ष) नूर अहमद और ऑल बंगाल रिक्शा युनियन के जेनरल सेक्रेटरी जनाब मुख्तार अली ने हुकूमत (सरकार) से गुजारिश कि है के इलेक्शन (चुनाव) पहले ई – रिक्शा फराहम (बांटने का) काम शुरू कर दिया जाए।