“तमाम शहर का किस्सा बना दिया मुझको
मैं क्या था और ये कैसा बना दिया मुझको
कहां ये उम्र शराफत से कटा करती है
तुने बेकार में अच्छा बना दिया मुझको
आपको ये गज़ल किसी बड़े शायर की लग सकती हैं तो ज़रा ठहरिए ये किसी शायर की नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के आला अधिकारी डॉ हरिओम ने लिखी है। लेकिन ये गज़ल लिखते वक्त उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ये चार लाइनें उनपर ही फिट बैंठने लगेंगी।
जी हां यूपी के वरिष्ठ आईएएस डॉ हरिओम आजकल बेकार है यानि कि योगी सरकार के बनने के बाद यूपी में जो प्रशानिक फेरबदल हुआ उसमें डॉ हरिओम का नाम वेटिंग लिस्ट में है। वेटिंग लिस्ट यानि की इन्हें कोई भी विभाग अब तक नहीं दिया गया है ।
अब आप सोचेंगे कि आख़िरी ऐसा क्या हुआ कि इतने वरिष्ठ अधिकारी को वेटिंग लिस्ट में रखा गया है। तो इसके लिए आपको 10 साल पीछे जाना पड़ेगा। 26 जनवरी 2007 को डॉ हरिओम ने तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जिसके बाद योगी आदित्यनाथ को 11 दिन जेल में काटने पड़े थे।
दरअसल 26 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक तनाव फैला था और तत्कालीन सांसद योदी आदित्यनाथ गोरखपुर में धरने पर बैठने की ज़िद पर अड़े थे। पूरे शहर में कर्फ्यू होने की वजह से डीएम डॉ हरिओम ने आदित्यनाथ को गोरखपुर के बाहर ही रोक लिया था। लेकिन आदित्यनाथ की ज़िद के चलते प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया ।
इस बारे में खुद तत्कालीन डीएम डॉ. हरिओम ने प्रेस को बताया था कि वो सांसद योगी को गिरफ्तार नहीं करना चाहते थे लेकिन योगी के दबाव के कारण ही उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा। इतना ही नहीं हरिओम ने ये भी जानकारी दी कि वो गिरफ्तारी के बाद योगी को सर्किट हाउस में ही रखना चाहते थे जहां आमतौर पर सांसदों या विधायकों को गिरफ्तारी के बाद रखा जाता है। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उनसे जिद की कि उन्हें जेल में ही रखा जाए।इसके बाद गोरखपुर की जिला जेल में तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ 11 दिन तक बंद रहे।
आईएएस के तबादलों में यूपी के 9 अधिकारियों को वेटिंग लिस्ट में रखा गया है जिनमें से कुछ पूर्व सीएम अखिलेश यादव के करीबी हैं। लेकिन डॉ हरिओम को वेटिंग लिस्ट में रखने के पीछे की वजह आदित्यनाथ को जेल भेजने वाली घटना मानी जा रही है।