आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में फैली आतंक की आग से अब लद्दाख को भी जलाने की साजिश रच रहे हैं। अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए आतंकियों ने अनुच्छेद 35A को अपना नया हथियार बनाया है।
साजिश के तहत, आतंकी संगठनों ने अपने स्लीपर सेल को एक्टिव करते हुए वादी के तीनों हिस्सों में अनुच्छेद 35A पर बहस गर्म करने की कवायद शुरू कर दी।
इस बहस के दौरान, स्थानीय नागरिकों को बरगलाया जा रहा है कि अनुच्छेद 35A के खत्म होने से जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान और अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
आतंकियों की साजिश है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35A को अस्तित्व की लड़ाई बनाकर सभी धड़ों को एक मंच पर लाया जाया जाए. फिर, इसी मंच का इस्तेमाल आतंकी साजिशों को पूरा करने के लिए किया जाए।
सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने अपनी इस साजिश को अंजाम देने के लिए स्लीपर सेल के साथ सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है। आतंकी संगठन अपने चहेतों के सोशल मीडिया एकाउंट से लगातार मैसेज कर लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। इतना हीं नहीं, इन मैसेज में स्पष्ट तौर पर लोगों से हिंसा के लिए तैयार रहने की बात कही जा रही है।
जम्मू-कश्मीर के खिलाफ रची जा रही इस साजिश में आतंकियों के सबसे बड़ी मददगार बनकर अलगाववादी नेता सामने आए हैं. इन अलगाववादी नेताओं ने वादी में छोटी-छोटी सभाएं कर भड़काऊ भाषण देना शुरू कर दिया है।
इसी कड़ी में, बुधवार को आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस मजलिस शूरा के महासचिव हाजी गुलाम नबी सुमजी ने अपने भड़काऊ बयान में कहा है कि अनुच्छेद 35A के जरिए रियासत के बहुसंख्यक मुसलमानों को अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश है।
सुजमी ने धमकी भरे अंदाज में कहा है कि अनुच्छेद 35ए में किसी भी तरह की छेडछाड हुई तो कश्मीर की आवाम मरने और मारने के लिए तैयार है।
मजलिस शूरा के महासचिव हाजी गुलाम नबी सुमजी ने अपने भड़काऊ बयान में कहा है कि वादी से अनुच्छेद 35A के हटने से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख से रोजगार के विकल्प खत्म हो जाएगें। अनुच्छेद 35A के हटने से वादी में न ही लोगों के पास रहने की जगह बचेगी और न ही उनके पास कोई रोजगार होगा।
जम्मू-कश्मीर में अनजान लोगों के बसने से कश्मीरियत पूरी तरह से खतरे में पड़ जाएगी। वहीं, जेकेएलएफ चीफ पैट्रन अब्दुल मजीद और अय्यूब राथर ने 35ए हटने से रियासत की भौगोलिक स्थिति ही बदलने की बात कह रहे हैं।
उनके अनुसार, 35ए हटने से राज्य सरकार के पास से सिक्योरिटी से संबंधित मामले छीन लिए जाएगें, जिसका सीधा असर वादी के वाशिंदों की सुरक्षा पर पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतर्गत आने वाले जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में लागू अनुच्छेद 35-A को खत्म करने से संबंधित मामले पर 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
सुप्रीम कोर्ट में होने वाली इसी सुनवाई को लेकर आतंकी संगठनों सहित अलगाववादी नेताओं ने घाटी में नकारात्मक माहौल बनाना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अलगाववादी नेताओं ने 5 और 6 अगस्त को जम्मू-कश्मीर बंद की घोषणा भी की है।
अलगाववादी नेताओं ने राज्य के सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान, स्कूल, कॉलेज, परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह से बंद करने का ऐलान किया है। इस ऐलान के बीच, इस बात की फिक्र किसी को नहीं है कि बंद की वजह से लोगों को किस कदर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।