2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत आठ अन्य को थोड़ी राहत देने को लेकर एनआईए ने कानून मंत्रालय से कानूनी राय मांगी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इन आरोपियों पर मकोका लगाने के मुद्दे पर कानून मंत्रालय से एटॉर्जी जनरल मुकुल रोहतगी से राय लेने के लिए कहा है।
इकोनोमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का इस मुद्दे पर कहना है कि अगर कानूनी राय 15 अप्रैल, 2015 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मेल खाता है तो प्रज्ञा और पुरोहित को थोड़ी राहत दी जा सकती है।
बता दें कि अप्रैल, 2015 में सर्वोच्च अदालत ने स्पेशल कोर्ट को इस मामले में शामिल आरोपियों की जमानत पर बिना मकोका के तहत सुनवाई का निर्देश दिया था।एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि जांच एजेंसी कुछ कानूनी बिंदुओं पर कानून मंत्रालय और गृह मंत्रालय से राय मांगी है। जब हमें वहां से जवाब मिल जाएंगे, हम फाइनल रिपोर्ट सौंप देंगे।
एनआईए ने सोमवार को मुंबई की स्पेशल एनआईए कोर्ट में एक एप्लिकेशन दायर करके इस मामले में फाइनल रिपोर्ट देने के लिए थोड़ा और समय मांगा है। स्पेशल कोर्ट ने एनआईए को 2 फरवरी की डेडलाइन फाइनल रिपोर्ट के लिए दी थी। ऐसा नहीं होने की स्थिति में कोर्ट को पुरोहित, साध्वी और अन्य के खिलाफ आरोप तय करने की शुरूआत होगी।
एनआईए के विशेष पब्लिक प्रॉसीक्यूटर अविनाश रसल ने ईकोनॉमिक टाइम्स से फोन पर कहा कि एनआईए इस मामले में मंगलवार को स्पेशल कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई में और समय मांगेगा।पूरा मामला उस समय सामने आया जब एनआईए की विशेष पब्लिक प्रॉसीक्यूटर रोहिणी साल्यान ने आरोप लगाए। उन्होंने बताया था कि 2014 में बनी एनडीए सरकार के बाद एनआईए ने इस मामले के आरोपियों के प्रति नरम रूख अपनाने के लिए कहा था।
इस मुद्दे पर एक याचिका हर्ष मंदर की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जिसमें कहा गया कि एनडीए सरकार की ओर से साल्यान पर दबाव बनाया गया था। हालांकि इस पर एनआईए ने जवाबी हलफनामा दायर कर सभी आरोपों को आधारहीन करार दिया था।
दूसरी ओर श्रीकांत प्रसाद पुरोहित पर मकोका लगाने के खिलाफ उनकी वकील नीला गोखले ने याचिका दाखिल की है। कोर्ट में याचिका दाखिल करने से पहले गोखले ने कहा कि 15 अप्रैल, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मालेगांव धमाके के आरोपियों पर संदेह के मद्देनजर मकोका लगाने को लेकर शक जताया था।
इस मामले में आरोपियों की ओर से कहा गया था कि एटीएस ने अनैतिक आधार पर उन पर मकोका लगाने की कोशिश की जिससे उनकी स्वतंत्रता छिनी जा सके
Source: टीम डिजिटल (AJ)