क्या VHP हिंदू धर्म को सुधारने और इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं, या अंधेरे में धकेल रहे हैं? : राजदीप सरदेसाई

वीएचपी के नेता हिंदुत्व परिवार को हिन्दू धर्म के नाम पर केवल राजनीति करती है. धर्म के नाम पर समाज को बांटना ही उनका मकसद है. मुस्लिम और हिन्दू के पूर्वज नेक और अच्छे हिन्दू थे, जो अपने धर्म का पालन सच्चे दिल से करते थे और धर्म के नाम पर समाज को विभाजित नहीं करते थे. वीएचपी नेताओं को वो करना चाहिए जो हिन्दू के पूर्वज करते थे अगर वो ऐसा करने लगे तो शायद हिन्दू धर्म फिर से सुधारने लगे और पुनर्जीवित हो जाय खैर, पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने वीएचपी से ट्वीटर से पूछा है की क्या वे हिंदू धर्म को सुधारने, इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं, या इसे अंधेरे युग में धकेल रहे हैं? दक्षिणी कन्नड़ में, उनका एकमात्र उद्देश्य है सांप्रदायिक प्लॉट को बाँट कर उसमें उबाल लाना।

पौराणिक ग्रन्थों में कहीं भी हिंदू, हिन्दुत्व और हिंदू धर्म (रिलिजन) का उल्लेख नहीं है। पुराणों में कर्इ कथाएं हैं, पर किसी कथा में हिंदू धर्म की व्याख्या नहीं की गयी है। रामायण और महाभारत संसार के श्रेष्ठतम महाकाव्य हैं, जिनके महानायक राम और कृष्ण हैं, जिनमें मानव जीवन का एक आदर्श स्वरूप दिखाया गया है। भगवत गीता को धर्म का चश्मा उतारकर पढ़ने से इसमें छुपा हुआ गूढ़ आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक अर्थ समझ में आता है। भगवत गीता धर्म, दर्शन और आध्यात्म का अनुपम ग्रन्थ है, जो हमारी राष्ट्रीय निधि है। किन्तु गीता के किसी श्लोक में हिंदू, हिंदू धर्म अथवा हिन्दुत्व की व्याख्या नहीं की गयी है। हमारा देश तो भारत है और यहां के मूल निवासियों का धर्म (पूजा पद्धति एवं जीवनशैली का सम्मिलित रूप) सनातन है। पर वीएचपी जैसे संगठन को ये बात क्यों नहीं समझ मे आती है।