मैंगलोर के एक कालेज में तालिबात को क्लास रूम्स में बुर्क़ा पहनने से मना कर दिया गया है। इस सिलसिला में कालेज के क़वाइद-ओ-ज़वाबत के किताबचा में ये क़ायदा दर्ज है। अंदेशा है कि कालेज के इस नादरशाही हुक्म पर फ़िर्कावाराना ख़ुतूत और सनफ़ी बुनियादों पर एक बहस शुरू हो जाएगी।
सेंट अलाएसवीस (St Aloysius ) परी यूनीवर्सिटी कालेज के अंडर ग्रेजूएट कोर्स के लिए ये हिदायात जारी की गई हैं, जिनके बमूजब तालिबात को कालेज के मनज़ोरा क़वाइद और ज़ाब्ता अख़लाक़ के मुताबिक़ लिबास इस्तेमाल करना चाहीए। लड़कीयों से क्लास रूम्स और इम्तेहान हाल्स में बुर्क़ा पहनने की तवक़्क़ो नहीं रखी जाती।
प्रिंसिपल का ये फ़ैसला इस सिलसिला में काबिल तामील होगा। यू पी के मुस्लिम ग़ालिब आबादी वाले कई मुक़ामात पर तालिबात मामूल के मुताबिक़ बुर्क़ा पहनती हैं, लेकिन उन्हें क्लास रूम्स में बुर्क़ा उतार देना पड़ता है, लेकिन पूरे जिस्म को पोशीदा रखने वाले लिबास पर कोई पाबंदी नहीं है।
नई दिल्ली में जामिआ मिलीया इस्लामीया सेंटर्ल यूनीवर्सिटी में तालिबात पर क्लासेस में बुर्क़ा पहनने पर कोई पाबंदी नहीं है। सेंट अलाएसीस (St Aloysius ) के रजिस्ट्रार ए एम नरहरि ने कहा कि कालेज को लड़कीयों के कालेज के अहाता में और बरामदों में बुर्क़ा पहनने पर एतराज़ नहीं है।