खतरे की घंटी! फिर लौटा पोलियो

बरेली: हिंदुस्तान को पोलियो फ्री ऐलान करने के करीब एक साल बाद ही यूपी में पोलियो जैसी अलामत वाले 200 से ज्यादा केस पाए गए हैं । उत्तर प्रदेश के बरेली जिलों की तहसीलों में सामने आए केसों से रियासती हेल्थ डिपार्टमेंट में हडकंप मच गया है।

बहेडी, मीरगंज, फरीदपुर और नवाबगंज समेत दूसरी तहसीलों के इन सैंपल को अब आगे की जांच के लिए मुंबई की सेंट्रल लैबरेटरी भेजा गया है। इसके साथ ही आफीसरों को ये भी बता दिया गया है कि 5 से 15 साल की उम्र के बच्चों में पैरालिसिस और हाथ-पांव की मांसपेशियों के कमजोर होने की शिकायत है।

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक डब्ल्यूएचओ ने यूपी के बहेरी, मीरगंज, फरीदपुर और नवाबगंज तेहसिल से करीब 208 स्टूल सैंपल मुंबई भेजे हैं। इसकी जांच रिपोर्ट का इंतजार है। वहीं, दूसरी तरफ मुकामी इंतेज़ामिया ने भी कमर कस ली है। इस पर नजर रखने के लिए स्पेशल टीम तैनात की गई है।

चीफ मेडिकल ऑफिसर विजय यादव ने कहा कि हाथ-पैर में कमजोरी का सिर्फ ये मतलब नहीं कि बच्चा पोलियो का शिकार है। जब तक स्टूल सैंपल की पूरी जांच की रिपोर्ट नहीं आ जाती, इसे पोलियो नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा, अभी तक 170 सैंपल के रिपोर्ट मिले हैं जिनमें पोलियो की बात साबित नहीं हुई है।

विजय यादव ने कहा कि यूपी में पोलियो का आखिरी केस 2010 में फिरोजाबाद जिले में मिला था। वही, 2015 में डब्ल्यूएचओ ने 5,551 सैंपल टेस्ट किए जिनमें ज्यादातर केस पोलियो से आजाद थे। 787 सैंपल की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।

नियम के मुताबिक एक मुल्क को पोलियो से आज़ाद क़ौम का दर्जा तभी मिलता है जब वहां मुसलसल तीन साल पोलियो का कोई केस ना मिले।

हिंदुस्तान में ऐसा आखिरी मामला मगरिबी बंगाल के हावडा में 2011 में पाया गया था। इसके बाद मार्च 2014 में भारत को पोलियो से आज़ाद का दर्जा मिला था।