कुछ ऐसी बातें हैं जो हम अक्सर नहीं जानते हैं या शायद जान कर भी उन बातों के बारे में अनजान बने रहते हैं उन्हीं में से कुछ बातें आज बतानी ज़ुरूरी हो गयी हैं. इस्लाम क्या है? और इसमें किसी के क्या हुक़ूक़ हैं, ख़ास तौर से औरतों के हुक़ूक़… इस पर अक्सर सवालों और जवाबों का दौर चलता है.
इस्लाम में औरतों के क्या हुक़ूक़ हैं या उन्हें क्या अधिकार मिले हुए हैं ये हम और बेहतर तरह से समझ सकते हैं अगर हम उस शख्स को समझें जो ‘पहला मुसलमान’ था, वो कोई लड़का नहीं था वो लड़की थी उनका नाम था ख़दीजा बिन्त खुवायलिद(RA), वो इस्लाम के पैग़म्बर मोहम्मद साहब(PBUH) की बीवी थीं. उन्होंने उस ज़माने में जो कुछ हासिल किया था आज उसके लिए तमाम मुजाहिरे होते हैं, जिन हुक़ूक़ की मांग हम आये दिन करते हैं वो उन्हें उसी ज़माने में मिले हुए थे.
ख़दीजा(RA) अपने ज़माने में एक कामयाब बिज़नस वुमन थीं, उनका सम्मान किया जाता था, एक ऐसे ज़माने में जब आप सोच भी नहीं सकते कि एक औरत घर से बाहर निकल सकती है उस ज़माने में वो एक कामयाब बिज़नस वुमन थीं, उन्होंने अपने वालिद का कारोबार बड़ी ख़ूबी से संभाला था. उनका बिज़नस सभी क़ुरैश के बिज़नस से बड़ा था. उनकी कामयाबी और उनकी शराफ़त को देखते हुए कई लोगों ने उन्हें शादी का प्रस्ताव भेजा जिसे उन्होंने बा-सलीक़ा इनकार में वापिस किया. मोहम्मद साहब(PBUH) से शादी से पहले उनकी दो शादियाँ हो चुकी थीं और दोनों ही शौहर अल्लाह को प्यारे हो गए थे. उनके अपनी पहली दोनों शादियों से औलादें थीं. 40 साल की उम्र में उन्होंने मोहम्मद साहब(PBUH) के पास शादी का प्रस्ताव भेजा, तब मोहम्मद साहब(PBUH) महेज़ 25 साल के थे, उन्होंने उनके इस प्रस्ताव पे रजामंदी दी और उनसे शादी करना क़ुबूल किया. ख़दीजा(RA) से मोहम्मद साहब की 6 औलादें थीं.
ख़दीजा(RA) ऐसी पहली इंसान थीं जिन्होनें पैग़म्बर मोहम्मद साहब(PBUH) को अल्लाह का पैग़म्बर माना और मुसलमान हुईं.
ख़दीजा(RA) ने ग़रीबों, बेवाओं(विधवाओं) और परेशान हाल लोगों की मदद की, उन्होंने अपनी दौलत इन लोगों के ऊपर ख़र्च कर की.
आज भी दुनिया का वो इंसान जिसने पैग़म्बर मोहम्मद साहब(PBUH) को सबसे पहले पैग़म्बर माना एक मिसाल के बराबर है, हमें चाहिए कि हम उनकी तरह बनें, उनकी ज़िन्दगी से सीखें.
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