अमरीका ने अपने मज़ीद जंगी जहाज़ों और लड़ाका तय्यारों को ख़लीज फ़ारस रवाना कर दिया है ताकि हिक्मत-ए-अमली के एतबार से कलीदी अहमियत के हामिल आबनाए हुर्मुज़ को कुशादा(खुला) रखा जाय और इरानी न्यूक्लीयर प्रोग्राम पर कशीदगी में इज़ाफ़ा की सूरत में इस ( इरान ) के दूर अंदरूनी इलाक़ों पर वार किया जा सके।
न्यूयॉर्क टाईम्स ने एक आला अमरीकी ओहदेदार के हवाला से कहा है कि ख़लीज फ़ारस में अमरीका की नई तैनाती का मक़सद इसराईल को दुबारा ये तय्क्कुन देना है कि इरान के न्यूक्लीयर अज़ाइम को बेअसर करने के लिए वाशिंगटन संजीदा(सिरयस) है ।
इस इलाक़ा में अमरीकी जंगी जहाज़ों और लड़ाका तय्यारों की नई तैनाती की इत्तिला एक एसे वक़्त मंज़र-ए-आम पर आई हैं जबकि इस से एक दिन क़बल ही इरान ने इसराईल पर वार करने की सलाहियत के हामिल जदीद बैलास्टिक मीज़ाईलों का कामयाब तजुर्बा किया था ।
इरानी ख़बररसां इदारा अरुणा ने कहा है कि पासदार इन इन्क़िलाब के सिपाहियों ने हमला की सूरत में जवाबी वार करने की सलाहियतों का मुज़ाहरा करने के मक़सद से वसती इरान के सहराई इलाक़ा कावेर में 2000 कीलो मीटर के फ़ासिला तक वार करने वाले शहाब । 3 मीज़ाईलों को कामयाबी के साथ दाग़ा था ।
अरुणा ने मज़ीद कहा कि औसत(मिडिल) फ़ासिला के शहाब । 3 मीज़ाईलों के इलाक़ा को 300 ता 500 कीलो मीटर तक वार करने वाले कम फासलाती शहाब । 1 और शहाब । 2 मीज़ाईलों के तजुर्बे भी किए गए ।