वहीं, महिलाओं, दिव्यांगों, बुजुर्गों के लिए चल रही अलग-अलग योजनाओं को जोड़ कर एक योजना बनाने का निर्णय लिया गया. साथ ही कबीर अंत्येष्टि के तहत अब मुखिया को 15,000 की राशि के बजाय कार्ड दिया जायेगा, जिससे वे जरूरत पड़ने पर राशि निकाल सकेंगे. इसके अलावा किन्नरों की समस्याओं के समाधान के लिए किन्नर बोर्ड बनाने, ओिड़शा के तर्ज पर बिहार के हर पंचायत में श्मशान घाट बनाने का भी निर्णय लिया गया.
बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश के 67 लाख लोगों को समाज कल्याण विभाग से विभिन्न प्रकार की पेंशन दी जाती थी, लेकिन सरकार ने जब पेंशनधारियों का बैंक खाता लिया और उसमें सीधे राशि देने की बात की, तो पता चला कि छह लाख पेंशनधारी फर्जी हैं. अब तक कैंप लगा लोगों को पेंशन की राशि दी जाती थी. इससे समय पर पेंशन पाने वालों को राशि नहीं मिल पाती थी और गलत लोग भी इसका लाभ ले लेते थे. ऐसे में राज्य सरकार ने आरटीपीजीएस के तहत सीधे बैंक खातों में राशि भेजने का निर्णय लिया है.
पेंशनधारियों के खातों को आधार कार्ड से भी जोड़ा जा रहा है और फिलहाल तीन महीने की पेंशन की राशि एक साथ दी जा रही है. विभाग जल्द ही ऐसी व्यवस्था करेगा कि पेंशनधारियों को हर महीने पेंशन की राशि मिल सके. ऐसे में किसी पेंशनधारी का निधन हो जाये, तो उनका नाम हटाने में भी सहूलियत होगी.
उन्होंने कहा कि फर्जी पेंशनधारियों की देश भर में यही स्थिति है. हर जगहों पर करीब 10% फर्जी लोग ऐसे स्कीम का लाभ उठाते हैं, लेकिन अब बिहार में वे इसका लाभ नहीं उठा सकेंगे. मुख्य सचिव ने बताया कि कबीर अंत्येष्टि के तहत अब तक मुखिया को 3000 रुपये की दर से पांच मृतकों की अंत्येष्टि के लिए 15 हजार रुपये दिये जाते थे, लेकिन अब सरकार ने राशि की जगह कार्ड देने का निर्णय लिया है. इससे मुखिया कबीर अंत्येष्टि के लिए निर्धारित 15 हजार से ज्यादा की राशि निकाल सकेंगे. इसके मॉनीटरिंग के लिए एप भी बनाया गया है. वहीं, ओडिशा के तर्ज पर बिहार की हर पंचायत में आधुनिक श्मशान घाट बनेगा. इसमें बारिश में भी दो शव आसानी से जलाये जा सकेंगे.