नई दिल्ली: महात्मा गांधी को ब्रिटिश और सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजेंट बताने वाले बयान पर सुप्रीम कोर्ट से पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू को राहत नहीं मिली। गुरुवार को कोर्ट ने काटजू की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि संसद के दोनों सदनों से जारी किया गया निंदा प्रस्ताव बना रहेगा।
दरअसल, पूर्व जस्टिस काटजू ने संसद के दोनों सदनों द्वारा जारी किए गए निंदा प्रस्ताव को निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि जस्टिस काटजू की याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए। इससे पहले चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जस्टिस काटजू के विचार पर संसद के दोनों सदनों ने अपने विचार व्यक्त किया है। कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के मामले की सुनवाई अदालत करेगी तो यह गलत प्रथा होगी। उन्होंने यह भी कहा कि संसद के भीतर हुई कार्यवाही को न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं लाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले मार्कंडेय काटजू ने अपने ब्लॉग में महात्मा गांधी को ब्रिटिश और सुभाष चंद्र बोस को जापान का एजेंट बताया था। काटजू ने कहा था कि बिना उनका पक्ष जाने संसद ने उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया, जो उचित नहीं है।