सीनियर बी जे पी लीडर एल के आडवाणी ने आज कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा कि अपनी रिवायती लोक सभा नशिस्त गांधी नगर से इंतेख़ाब नहीं लड़ेंगे और गुजरात से अपनी देरीना वाबस्तगी की याद ताज़ा की। मध्य प्रदेश से हमारे बही ख्वाहों ने चाहा कि में भोपाल से भी चुनाव लड़ों। लेकिन मैंने कभी गांधी नगर से इंतेख़ाब ना लड़ने का इरादा नहीं किया, उन्होंने ये बात कहते हुए तरदीद की कि इस हलक़े के बारे में कोई तनाज़ा रहा जहां से वो इलेक्शन लड़ने के ख़ाहां रहे।
एसी इत्तेलाआत आई थीं कि साबिक़ नायब वज़ीर-ए-आज़म ने अपना हलक़ा गांधी नगर से भोपाल मुंतक़िल करने की ख़ाहिश का इज़हार किया था लेकिन आर एस एस और पार्टी की मुदाख़िलत के पेशे नज़र दार-उल-हकूमत गुजरात से ही चुनाव लड़ने पर अमलन मजबूर करदिए गए।
पाँच मर्तबा के एम पी जिन्होंने आज पार्टी के वज़ारत-ए-उज़मा उम्मीदवार और चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी के साथ पहुंच कर गांधी नगर नशिस्त के लिए अपने काग़ज़ात-ए-नामज़दगी दाख़िल किए, कहा कि गांधी नगर से चुनाव लड़ना क़तई शादमानी है और इस रियासत से अपनी बरसहा बरस की वाबस्तगी पर रोशनी डाली। गांधी नगर और गुजरात के साथ मेरे ताल्लुक़ात यहां से मेरे चनाव लड़ने से शुरू नहीं हुए।
उनकी शुरूआत बद बख्ताना वाक़िये से हुई जो हिन्दुस्तान की आज़ादी के साथ आया, 86 साला आडवाणी ने ये बात कहते हुए तकसीम-ए-हिंद का हवाला दिया जिस के बाद वो और उनकी फ़ैमिली पाकिस्तान से हिन्दुस्तान मुंतक़िल हुए। उन्होंने कहा, मेरे वालिद आदीपोर (इलाक़ा कुछ की टाउनशिप जहां आडवाणी और उनकी फ़ैमिली तकसीम-ए-हिंद के बाद मुंतक़िल हुई) में मुख़्तसर मुद्दत के लिए रहे।
फिर वो काशी (बनारस या मौजूदा वाराणसी) मुंतक़िल हुए, जहां मेरी दादी अपने आख़िरी वक़्त गुज़ारना चाहती थीं। वो वहां 3-4 साल रहे और फिर आदीपोर मुंतक़िल होगए। ये मेरी और मेरी फ़ैमिली की गुजरात से वाबस्तगी का पस-ए-मंज़र है। अडवाणी ने मोदी की क़ाबिल एडमिनिस्ट्रेटर की हैसियत से सताइश की।
उन्होंने गांधी नगर में मीडिया को मुख़ातिब करते हुए कहा, मोदी पी एम बन जाऐंगे। उन्होंने कहा, में कोई तक़ाबुल नहीं करूंगा, बिलाशुबा अटल जी से नहीं। अटल जी अपने आप में एक मिसाल रहे। पार्टी के बड़े नज़रिया साज़ दीनदयाल उपाध्याय थे और इस पर हुक्मरानी में अमल दरआमद करने वाले शख़्स अटल जी रहे।