गाज़ा पट्टी में रहने वाले फलस्तीनी मौत मांग रहे हैं, और अरब देशों के मुसलमान खामोशी से तमाशा देख रहे हैं!

जब इस्राईलियों ने हालिया सैन्य हमले में आम नागरिको का जनसंहार किया तो इसकी भयानकता का स्तर यह था कि टीवी पर प्रकाशित की जाने वाली खबरों के एंकरों के पास इन खबरों के लिए “पिछले चार वर्षों गाज़ा में सबसे भयानक खून खराबा” के अतिरिक्त औऱ कोई हेडिंग नहीं थी।

11 वर्षों से जारी ग़ज़ा की नाकेबंदी की उपलब्धि यह है कि इस समय गाज़ा के अस्पताल प्रदर्शनों में घायलों से पटे पड़े हैं। फिलिस्तीनी अस्तपतालो क रिपोर्ट के अनुसार इस समय आंसू गैस को गोलों से घायलों की एक बड़ी संख्या अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती है।

इन अपराधों के साथ ही कुछ किलोमीटर की दूरी पर इस्राईल में जश्न मनाया गया और यरूशलेम इस्राईली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने बहुत से अमरीकी अधिकारियों जैसे इवांका ट्रम्प और ट्रम्प के सलाहकार का भव्य स्वागत किया, ताकि जब अमरीकी दूतावास अधिग्रहित शहर में स्थानांतरित हो तो मीडिया के कैमरों के सामने शक्तिप्रदर्शन कर सकें।

अमरीकी दूतावास का स्थानांतरण शहर के भविष्य पर जारी वार्ता में रुकावट और फिलिस्तीनियों के भविष्य को अंधकार में धकेल देगा और इस प्रकार ज़ायोनी शासन पूर्वी यरूशलेम को अपनी राजधानी बना लेगा। नेतन्याहू की मुस्कान इसी को दिखा रही थी।

जैसा कि वह मध्य पूर्व की शांति पर पहले से क्रोधित थे वह वाशिंग्टन के साथ मेल कर के पूरे यरूशलेम को ज़ायोनी शासन की राजधानी के तौर पर प्राप्त कर सकें। यूरोप ने भी इशारों इशारों में अपनी स्वीकृति दे दी है, जिसकी निशानी यूरोप का वह कार्यक्रम है जिसके अनुसार यूरोविज़न के अगले वर्ष के मुकाबले यरूशलेम में होंगे।

लेकिन दुख और गम के बीच, कुछ इस्राईली व्याख्याकारों को पता चल गया है कि राजनीतिक का अर्थ केवल शक्ति नहीं है बल्कि शक्तिप्रदर्शन में हैं। एक तरफ़ तेल अवीव और यरूशलेम में शैंपेन की जाम टकराए जा रहे थे और दूसरी तरफ़ गाज़ा में खून की नदियां बह रही थी।

दूसरी तरफ़ अरब लीडरों ने शर्मनाक दोगलेपन का प्रदर्शन किया है। उन्होंने न केवल मानवीय त्रसदी पर अपनी ज़बान नहीं खोली, उन्होंने ऐसे दिखाया कि यह बला खुदा की तरफ़ से नाज़िल हुई है, यह लोग इस्राईली नेताओं के आदेश से खून में नहीं नहाए हैं।

यही कारण हैं कि जायोनी फिलिस्तीनियों के बदनों पर बेधड़क गोलियां दाग रहे हैं। वह केवल दोनों पक्षों के हितों की बात कर रहे हैं, लेकिन हम हर रोज़ गोलियां दागती बंदूको, और संघर्ष को देख रहे हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह प्रदर्शनकारी इस्राईल से युद्ध कर रहे हैं और ज़ायोनी स्नाइपर अपनी दूरबीन लगी बंदूकों से फिलिस्तीनियों के शरीरों में छेद बना रहे थे।

इस्राईली राजनीतिज्ञ और मीडिया इस मानवता विरोधी कदम का औचित्य दर्शाना चाह रहे हैं। उन्होंने “आतंकवाद” और सैनिकों पर सैकड़ों मीटर दूर से पत्थर के हमले के खतरे के बारे में बयान दिया। जब कि हज़ारों फिलिस्तीन या तो मारे जा चुके हैं या फिर अपाहिज हो चुके हैं, प्रश्न यह है कि इन प्रदर्शनों के बीच कितने ज़ायोनी सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं? एक भी नहीं! यह फिलिस्तीनियो के क्या बेहतरीन आतंकवाद है।

जैसा कि हम लगातार संयुक्त राष्ट्र को चेतावनी दे रहे हैं, सच्चाई यह है कि गाज़ा पट्टी बहुत जल्द रहने लायक स्थान नहीं रह जाएगा। एक दशक से अधिक समय से इस्राईल ने इस क्षेत्र का हवाई, ज़मीनी और समुद्री नाकेबंदी कर रखी है, जब कि इस नाकेबंदी को झेल रहे गाज़ा वासी कभी कभी इस्राईल पर रॉकेट दागते हैं और उन पर पूर्ण सैन्य हमला किया जाता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के एक पत्रकार ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा कि ऐसा प्रतीत होता है कि गाज़ा पट्टी में रहने वाले फिलिस्तीनी मौत मांग रहे हैं। सच्चाई यह है कि दो मिलयन फिलिस्तीनी –तेज़ी से बढ़ती आबादी- एक बहुत ही छोटे से जेल में रह रहे हैं, जिनके भंडार लगभग खाली हो चुके हैं।

उनमें से दसियों हज़ार लोगों ने दिखा दिया है कि वह अपनी जान का खतरा मोल लेने को तैयार हैं, किसी धर्म युद्ध के लिए नहीं, बल्कि अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए, एक मूल्यवान मानवीय अधिकार, और उन्होंने ज़ायोनी शासन और विश्व संस्थानों को शर्मिंदा करने के लिए अहिंसा के मुकाबले को चुना है।

हालांकि उसके विरुद्ध इस्राईली इस विश्वास के साथ कि प्रदर्शनकारी फिलिस्तीनी हमास के सैनिक हैं, और इस्राईल पर दबाव डालना चाहते हैं, इसलिए उनकी सच्चाई को ठुकरा रहे हैं।

लेकिन अगर वास्तव में हमास इस्राईल पर प्रभाव डालने की कोशिश करे तो उसका लक्ष्य क्या होगा? इस्राईली मीडिया ने बहुत की खुशी के साथ खबर दी थी कि हमास बिन शोर शराबे के इस्राईली संस्थाओं के साथ लंबी अवधि के संघर्ष विराम पर राज़ी हो गया है, यानी इस्राईली अधिग्रहण के विरुद्ध प्रतिरोध के फिलिस्तीनी अधिकार से उसने हाथ खींच लिया है।

साभार- ‘वर्ल्ड न्यूज अरेबीया’