लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और गैंगरेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले न्यायाधीश को हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने बर्खास्त कर दिया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के खिलाफ समिति ने विभागीय जांच के आदेश भी दिए है। इंडियन एक्सप्रेस मुताबिक, जस्टिस सुधीर अग्रवाल मिश्रा के सारे अधिकार सीज कर दिए गए हैं।
बता दें कि जस्टिस सुधीर अग्रवाल मिश्रा पोस्को कोर्ट में तैनात है और कल यानी 30 अप्रैल रिटायर हो रहे हैं। गौरतलब है कि शुक्रवार को गायत्री प्रजापति को जमानत के खिलाफ सरकार की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की थी। कोर्ट इस दौरान मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए गया थे।
राज्य सरकार की तरफ से शुक्रवार को दाखिल अर्जी में अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार साही ने कहा था कि गायत्री प्रजापति ने 24 अप्रैल को जमानत अर्जी दाखिल की थी। इस पर 25 अप्रैल को सुनवाई करते हुए सत्र न्यायालय ने जमानत का आदेश जारी कर दिया, जबकि सरकारी वकील और पुलिस जांच टीम ने न्यायालय से अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय मांगा था।
उन्होंने अदालत से यह भी कहा था कि एक महिला ने प्रजापति और उनके साथियों पर तीन साल तक सामूहिक दुराचार करने का आरोप लगाया है। पीड़िता की बेटी का भी यौनशोषण किया गया। ऐसे गंभीर आरोपों को देखते हुए जमानत नहीं दिया जाना चाहिए। इस बात नोटिस लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोंसले ने इस बाबत निर्देश एक आदेश जारी किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक डी.के. सिंह ने पुष्टि की कि प्रशासनिक समिति ने ए.डी.जे. ओम प्रकाश मिश्र को निलंबित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर 2014 में एक महिला से बलात्कार करने आरोप लगाया था। प्रजापति पर महिला की बेटी से भी रेप की कोशिश करने का आरोप। इसके बाद इसी साल 17 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर प्रजापति और उनके छह अन्य साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद पिछले महीने 15 तारीख को पुलिस ने प्रजापति को गिरफ्तार कर जेल भेजा दिया था।