एक मुक़ामी अदालत ने वस नगर में आज 109 मुल्ज़िमीन को बरी कर दिया, जिन पर गुजरात के ज़िला महसाना, ताल्लुक़ा वसनगर के देहात उम्टा के दो अफ़राद के क़त्ल का इल्ज़ाम था। मुबय्यना तौर पर इन 109 अफ़राद ने 2002 के गुजरात फ़सादाद के दौरान उम्टा देहात के 2 अफ़राद को हलाक किया था।
एडीशनल सेशन जज के बी मेघनानी ने तमाम मुल्ज़िमीन को शक का फ़ायदा देते हुए बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि वुकलाए इस्तेग़ासा वाज़िह तौर पर मुल्ज़िमीन का इस क़त्ल की वारदात में किरदार साबित नहीं कर सके। 28 फ़रवरी 2002 को 1500 से ज़्यादा अफ़राद पर मुश्तमिल एक पुरतशदुद हुजूम ने अक़ल्लीयती तबक़ा की आबादी वाले देहात उम्टा में अक़ल्लीयती तबक़ा से ताल्लुक़ रखने वाले कई मकान और दुकानें नज़र-ए-आतिश कर दिए थे।
फ़सादाद के दौरान एक रिटायर्ड टीचर मुहम्मद शेख़ और अबदुल मनान को हुजूम ने अग़वा कर लिया था। उन्हें ज़द्द-ओ-कूब करके हलाक कर दिया था। ताहम उन की नाशें तहक़ीक़ात करने वाले महकमों को दस्तयाब नहीं हुई। इस मुक़द्दमा में 120 अफ़राद के ख़िलाफ़ फ़र्द-ए-जुर्म पेश किया गया था।
ताहम मुक़द्दमा की समाअत के दौरान 11 अफ़राद फ़ौत हो गए। 74 गवाहों से जर्राह की गई और महलोकीन के रिश्तेदारों के सिवाए पुलिस के बेशतर दीगर गवाह अपने ब्यान से मुनहरिफ़ होगए। इस मुक़द्दमा की तहक़ीक़ात मुक़ामी पुलिस की जानिब से की गई थीं और महलोकीन के रिश्तेदार तहक़ीक़ात से मुतमईन नहीं थे।
एडीशनल सेशन जज मेघनानी ने नाकाफ़ी सबूतों की बिना पर शक का फ़ायदा देते हुए मुल्ज़िमीन को बरी कर दिया।