नागपुर: मुजरिमों के सरग़ना से सियासतदां बन जानेवाले अरुण गवली को बॉम्बे हाईकोर्ट नागपुर बेंच ने छुट्टी मंजूर कर दी है| बेंच ने रियासती हुकूमत से कहा कि छुट्टी की मोहलत पर फ़ैसला करे। पूर्व विधायक जो कि एक क़तल केस में उम्र क़ैद की सज़ा भुगत रहे हैं नागपुर बेंच के रूबरू छुट्टी की मंज़ूरी के लिए 2 फरवरी को एक अर्ज़ी पेश की थी।
जस्टिस भूषण और जस्टिस वी ऐम देशपांडे पर शामिल डिवीझ़न बेंच ने कल अरुण गवली की छुट्टी मंज़ूर की थी। दरख़ास्त गुज़ार ने ये दावा किया है कि पहले मनज़ोरा दिनों कि छुट्टी के दौरान उन्होंने शर्तों की ख़िलाफ़वरज़ी नहीं की थी। और ना ही किसी गै़रक़ानूनी गतिविधियों में शामिल रहे और वक़्त मुक़र्ररा पर अधिकारियों के आगे आत्मसमर्पण अपनाया था।
पहले अरुण गवली ने 14 अक्टूबर 2015 को डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल इस्टर्न रीजन नागपुर मिस्टर योगेश देसाई को छुट्टी मंज़ूर करने के लिए एक ख़त रवाना किया था। हालांकि अधिकारियों ने इस आधार पर यह याचिका खारिज कर दी कि अगर उन्हें रिहा कर दिया गया तो संभव है कि वे अपराध करते हुए समाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिसके बाद वह हाईकोर्ट का उल्लेख हो गए थे।
2008 में गवली ने शिवसेना के एक नेता की हत्या की सुपारी ली थी| और शिवसेना कॉरपोरेटर कमलाकर जामसांडेकर की हत्या करवा दी. बताया जाता है कि इस काम के लिए गवली ने 30 लाख रुपये की सुपारी ली थी| इस मामले में अदालत ने आरोपी बनाए गए अरुण गवली को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई| जिसे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा| यह पहला मौका था जब गवली को किसी अदालत ने दोषी मानकर सजा सुनाई थी| उन्हें मुंबई में साक़ी नाका पुलिस ने गिरफ़्तार कर के चार्ज शीट पेश की थी।