नई दिल्ली
क़ुदरती गैस की क़ीमतों में तवक़्क़ो से कम इज़ाफे को हुकूमत के साथ मुआहिदे से ग़ैर मुताल्लिक़ क़रार देते हुए जिस पर हुकूमत और गैस-ओ-तेल तलाश करने वालों ने दस्तख़त किए थे, लंदन की हार्डी ऑयल कंपनी ने जो रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ और भारत पेट्रोलियम की शराकतदार है और के जी तास में गैस तलाश कररही है, आज कहा कि जारिया माह हुकूमत ने गैस की नई क़ीमत 5.61 अमरीकी डालर फ़ी यूनिट मुक़र्रर की है।
ये शरह साबिक़ा यू पी ए हुकूमत की मनज़ुरा शरह से तक़रीबन 40 फ़ीसद कम है। हालाँकि साबिक़ हुकूमत की शरह पर अमलावरी नहीं की गई थी। तेल और गैस तलाश करनेवाली कंपनीयां नई शरह पर नाराज़ हैं जो साबिक़ क़ीमत 4.2 अमरीकी डालर फ़ी 10 लाख बर्तानवी थर्मल यूनिट से ज़्यादा है और औसतन फ़ाज़िल गैस की मईशतों जैसे अमरीका, रूस और कैनेडा की तयशुदा क़ीमत से कम है।
ये पैदावार की लागत से भी और गहरे समुंद्र में गैस की दरयाफ़त के ख़र्च को पेशे नज़र रखते हुए कम है। नई घरेलू गैस की क़ीमतों का ताय्युन करने के लिए जो रहनुमायाना ख़ुतूत जारी किए गए हैं वो बाज़ारों को सरबराह की जाने वाली गैस पर एक बोझ हैं। जिस के नतीजे में दरआमद शूदा गैस की मौजूदा क़ीमतें हिन्दुस्तान में दरयाफ़त की जाने वाली गैस की क़ीमत से कम होजाती हैं।
गैस की सरबराही में क़िल्लत के नतीजे में गैस की क़ीमत के ताय्युन की पोलिसी तवक़्क़ुआत बनिसबत कम है और पैदावार, शराकतदारी मुआहिदे की दफ़आत से हम आहंग नहीं है जिस के तहत कॉन्ट्रैक्ट को ये बात यक़ीनी बनाना पड़ता है कि गैस की क़ीमत का ताय्युन एक इलाक़ाई मसह बिकती दरयाफ़त के अमल की क़ीमत के मुताबिक़ मुक़र्रर की जाये।
बी डब्लयू एन । 2003/1(D3) कृष्णा गोदावरी तास ख़लीज बंगाल में 10 फ़ीसद सूद आइद करती है। रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ 60 फ़ीसद हिसस की मालिक है और इस ब्लॉक की ऑप्रेटर है जहां अब तक 4 मुक़ामात पर गैस दरयाफ़त की गई है। भारत पेट्रोलियम बाक़ी 30 फ़ीसद हिसस की मालिक है।