अहमदाबाद, 27 फरवरी: गुजरात के गोधरा में कारसेवकों के साथ हुई आगजनी के वाकिया को आज 11 साल पूरे हो गए। साल 2002 में आज ही के दिन गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में आग लगा दी गई थी। सुबह 7 बजकर 57 मिनट पर हुई इस वाकिया में अयोध्या से लौट रहे 59 कार सेवकों की जलकर मौत हो गई थी। ट्रेन में लगी आग पूरे गुजरात में फैली और देखते ही देखते दंगों में एक हजार से ज्यादा मासूमों की मौत हो गई थी।
गोधरा ट्रेन वाकिया की 11वीं बरसी पर एक बार फिर से लोगों की आंखें नम हो गई। आज भी मुतास्सिरों के जख्म नहीं भर पाए हैं। उन्हें आज भी इंसाफ का इंतेजार है। 11 बरस गुजर जाने के बाद भी उस रात के स्याह साए से अब भी हजारों जिंदगियां नहीं उबर पाई हैं। 11 साल बाद भी कहीं इंसाफ न मिलने की मायूसी है, तो कहीं सरकारी मदद के खोखले दावों का दर्द है।
गोधरा ट्रेन कांड और उसके बाद हुए फिर्कावाराना दंगों के वाक्यात (Events) इस तरह है-
27 फरवरी, 2002 : गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में हुजूम के तरफ से आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों की मौत हो गई। इस मामले में 1500 लोगों के खिलाफ एफ आई आरदर्ज की गई।
28 फरवरी से 31 मार्च : गुजरात के कई इलाकों में दंगा भड़का जिसमें 1200 से ज़्यादा लोग मारे गए। मारे गए लोगों में ज्यादातर अकलियती कम्युनिटी (Minority community)के लोग थे।
03 मार्च : गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ Terrorism Ordinance (पोटा) लगाया गया।
06 मार्च : गुजरात हुकूमत ने कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत गोधरा कांड और उसके बाद हुई वाक्यात की जाँच के लिए एक कमीशन तकर्रुर की।
09 मार्च : पुलिस ने सभी मुल्ज़िमीन के खिलाफ भादसं की दफा 120-बी (मुजरिमाना साजिश) लगाया।
25 मार्च : मरकज़ी हुकूमतके दबाव की वजह से सभी मुल्ज़िमीन पर से पोटो हटाया गया।
27 मार्च : 54 मुल्ज़िमीन के खिलाफ पहला चार्जशीट दाखिल किया गया, लेकिन उन पर इंसेदाद ए दहशतगर्दी कानून के तहत इल्ज़ाम नहीं लगाया गया। (पोटो को उस वक्त संसद ने पास कर दिया था जिससे वह कानून बन गया)
18 फरवरी, 2003 : गुजरात में बीजेपी हुकूमत के दोबारा चुने जाने पर मुल्ज़िमीन के खिलाफ फिर से इंसेदाद ए दहशतगर्दी कानून लगा दिया गया।
21 नवंबर : सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन जलाए जाने के मामले समेत दंगे से जुड़े सभी मामलों की अदालती सुनवाई पर रोक लगाई।
04 सितंबर, 2004 : राजद लीडर लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री रहने के दौरान केद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की बुनियाद पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूसी बनर्जी की सदारत वाली एक कमेटी तश्कील की गयी। इस कमेटी को वाकिया के कुछ पहलुओं की जाँच का काम सौंपा गया।
21 सितंबर : नवगठित यूपीए हुकूमत ने पोटा कानून को खत्म कर दिया और मुल्ज़िमीन के खिलाफ पोटा इल्ज़ामातो का जायज़ा लेने का फैसला किया।
17 जनवरी 2005 : यूसी बनर्जी कमेटी ने अपनी इब्तिदायी रिपोर्ट में बताया कि एस-6 में लगी आग एक ‘हादिसा’ था और इस बात की आशंका को खारिज किया कि आग बाहरी अनासिर के तरफ से लगाई गई थी।
16 मई : पोटा जायज़ा कमेटी (POTA review committee) ने अपनी राय दी कि मुल्ज़िमीन पर पोटा के तहत इल्ज़ाम नहीं लगाए जाएँ।
13 अक्टूबर 2006 : गुजरात हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी कि यूसी बनर्जी कमेटी की तश्कील ‘गैर कानूनी’ और ‘गैर आइनी’ है क्योंकि नानावटी-शाह कमीशन पहले ही दंगे से जुड़े सभी मामले की जाँच कर रहा है । उसने यह भी कहा कि बनर्जी की जाँच के नतीजे ‘गलत’ हैं।
26 मार्च 2008 : सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन में लगी आग और गोधरा के बाद हुए दंगों से जुड़े आठ मामलों की जाँच के लिए खुसुसी तहकीकाती कमीशन (Special Commission of Inquiry) बनाया।
18 सितंबर : नानावटी कमीशन ने गोधरा कांड की जाँच सौंपी और कहा कि यह पहले से बनायी हुई साजिश थीऔर एस6 कोच को भीड़ ने पेट्रोल डालकर जलाया।
12 फरवरी 2009 : हाई कोर्ट ने POTA review committee के इस फैसले की तसदीक की कि कानून को इस मामले में नहीं लागू किया जा सकता है।
20 फरवरी : गोधरा कांड के मुतास्सिरों के रिश्तेदार ने मुल्ज़िमीन पर से पोटा कानून हटाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। इस मामले पर सुनवाई अभी भी ज़ेर् गौर है।
01 मई : सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा मामले की सुनवाई पर से पाबंदी हटाया और सीबीआई के साबिक डायरेक्टर आरके राघवन की सदारत वाले खुशुशी जाँच दल ने गोधरा कांड और दंगे से जुड़े दगर आठ मामलों की जाँच में तेजी आई।
01 जून : गोधरा ट्रेन कांड की सुनवाई अहमदाबाद के साबरमती केंद्रीय जेल के अंदर शुरू हुई।
06 मई 2010 : सुप्रीम कोर्ट सुनवाई अदालत को गोधरा ट्रेन कांड समेत गुजरात के दंगों से जुड़े नौ हस्सास मामलों में फैसला सुनाने से रोका।
28 सितंबर : सुनवाई पूरी हुई लेकिन आली अदालत के तरफ से रोक लगाए जाने के वजह से फैसला नहीं सुनाया गया।
18 जनवरी 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने पर से पाबंदी हटायी।
22 फरवरी : खुसूसी अदालत ने गोधरा कांड में 31 लोगों को मुजरिम पाया, जबकि 63 को बरी किया ।
————-बशुक्रिया: अमर उजाला