गोधरा फ़सादात‌ केलिए मोदी ज़िम्मेदार नहीं : गिल

पंजाब के साबिक़ डी जी पी के पी एस गिल ने 2002 में वज़ीर-ए-आला गुजरात के सलामती मुशीर के फ़राइज़ भी अंजाम दिए थे ने आज एक बयान देते हुए कहा कि गोधरा में फूट पड़े फ़िर्कावाराना फ़सादात‌ केलिए नरेंद्र मोदी को मौरिद इल्ज़ाम नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि रियासत में ला ऐंड आर्डर क़ायम रखने की ज़िम्मेदारी पुलिस क़ियादत पर आइद होती है।

के पी एस गिल अख़बारी नुमाइंदों से बात कररहे थे और जब उनसे सवाल पूछा गया कि गोधरा फ़सादात‌ से जिस तरह नरेंद्र मोदी निमटे थे इस बारे में उनका क्या ख़्याल है जिस का जवाब देते हुए उन्हों ने ला अंडर आर्डर के क़ियाम केलिए पुलिस क़ियादत को ज़िम्मेदार ठहराया ना कि सियासी क़ियादत को।

गुजिश्ता रात‌ अपनी सवानिह उमरी के पी एस गिल : दी पीरामाउंट कप की रस्म इजराई के मौक़ा पर उन्हों ने ये बात कही। तक़रीब में कई मुअज़्ज़िज़ शख़्सियतों ने शिरकत की थी जिन में पंजाब केसरी ग्रुप ऐडीटर इनचीफ़ विजय‌ कुमार चोपड़ा इंडियन ऐक्सप्रेस ऐडीटर इनचीफ़ शेखर गुप्ता साबिक़ सी बी आई डायरैक्टर पी सी शर्मा और दीगर ने शिरकत की थी।

अपनी किताब में गिल ने मोदी की दिल खोल कर तारीफ़ की है और कहा है कि मोदी गोधरा के फ़िर्कावाराना फ़सादात‌ ख़त्म करने केलिए संजीददा थे। कुछ ऐसे अनासिर हैं जो इन्हें ख़्वाह मख़्वाह बदनाम कररहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका ये एहसास है कि फ़िर्कावाराना फ़सादात‌ से पैदा शूदा सूरत-ए-हाल का ऐसे अफ़राद या सियासी पार्टीयां फ़ायदा उठा रही हैं जो बी जे पी और नरेंद्र मोदी के मुख़ालिफ़ीन हैं।

उन्होंने कहा कि फ़सादात‌ फूट पड़ने के बाद पुलिस ओहदेदारान और रियासती इंतिज़ामिया फ़िर्कापरस्त होगया था और उस वक़्त नरेंद्र मोदी जो वज़ीर-ए-आला के ओहदा पर नए नए फ़ाइज़ हुए थे वो सूरत-ए-हाल पर अपनी मज़बूत गिरफ्त रखने में नाकाम रहे थे। इस का मतलब ये नहीं कि उन्हों ने फ़सादात‌ ख़ुद अपनी निगरानी में करवाए और फ़सादियों को खुली छूट देदी थी। रियासती मिशनरी पर उनकी गिरफ्त इतनी मज़बूत नहीं थी जितनी कि होनी चाहिए थी।