ग्लोबल वारमिंग और माहोलयाती आलूदगी(गन्दगी) के लिए तरक़्क़ी याफ़ता ममालिक ज़िम्मेदार

मुमताज़( मशहूर) माहिर माहौलयात प्रोफेसर पुरुषोत्तम रेड्डी ने कहा के ग्लोबल वारमिंग और माहोलयाती आलूदगी (गन्दगी)के लिए तरक़्क़ी याफ़ता ममालिक ज़िम्मेदार हैं जो गरीब और तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक के ख़िलाफ़ कीमीयाई हथियारों का इस्तिमाल करते हैं।

उन्हों ने कहा के तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक क़ुदरती वसाइल से मालामाल हैं और तरक़्क़ी याफ़ता ममालिक इस से महरूम हैं चुनांचे वो गरीब और तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक को क़ुदरती वसाइल से महरूम करने के लिए उन के ख़िलाफ़ ताक़त का इस्तिमाल करते हैं।

प्रोफेसर पुरुषोत्तम रेड्डी आज ग़ुलाम अहमद कॉलेज आफ़ एजूकेशन के ज़ेर एहतिमाम माहोलयाती बेदारी और बायो डाय वरसिटी के मौज़ू(टोपिक) पर मुनाक़िदा सेमीनार के इख़ततामी(कतम) इजलास(मीटिंग) से मुख़ातब(बात) थे। प्रोफेसर मधु मति साबिक़( पहले) डीन फ़ेकलेटी आफ़ एजूकेशन उस्मानिया यूनीवर्सिटी ने एज़ाज़ी मेहमान की हैसियत से शिरकत की।

जनाब ख़ान मुहम्मद लतीफ ख़ान ने सदारत की । शहि नशीन पर जनाब ज़फ़र जावेद, डाक्टर मीर अकबर अली ख़ान, जनाब मुहम्मद जाफ़र, मसज़स वीभा अस्थाना प्रिंसिपल, जनाब निसार अहमद मौजूद थे। प्रोफेसर पुरुषोत्तम रेड्डी ने हैदराबाद में अगले महीने बायो डाय वरसिटी पर मुनाक़िद होने वाली बैन अल-अक़वामी कान्फ़्रैंस से पहले ग़ुलाम अहमद कॉलेज आफ़ एजूकेशन की जानिब से सेमीनार के इनइक़ाद को ख़ुश आइंद क़रार दिया और कहा के जब तलबा में शऊर पैदा होजाता है तो मुआशरती तबदीली यक़ीनी होजाती है।

उन्हों ने कॉलेज आफ़ एजूकेशन एमएड के तलबा की जानिब से ज़ेर ज़मीन पानी , बारिश के पानी के तहफ़्फ़ुज़ , शमसी तवानाई जैसे अहम शोबा जात में मुख़्तलिफ़ इलाक़ों में तहक़ीक़ाती सरगर्मियों और शऊर की बेदारी की सताइश की।

वाज़िह रहे के एमएड के 35तलबा ने जो पाँच टीमों पर मुश्तमिल थे दोनों शहरों हैदराबाद सिकंदराबाद के मुख़्तलिफ़ मुहल्ला जात में अवाम से राबिता(मेल मिलाप) क़ायम करके इन में हिफ़ज़ान सेहत (सहत की हिफाज़त)के उसूलों से मुताल्लिक़ शऊर की बेदारी में अहम रोल अदा किया।

प्रोफेसर पुरुषोत्तम रेड्डी ने निज़ाम हैदराबाद को पर असरअंदाज़ में ख़राज अक़ीदत पेश किया और कहा के निज़ाम ने पीने का साफ़ पानी अवाम को मुफ़्त( फ्री) फ़राहम करने के इंतेज़ामात किए थे। आज पीने के लिए साफ़ पानी नहीं है।

उन्होंने हुसैन सागर से मुताल्लिक़ बताया के ग़लत इस्तिमाल की वजह से झील कुंटे में बदल गई है। उन्हों ने कहा के माहोलयाती तहफ़्फ़ुज़ इंसानियत की बक़ा(हिफाज़त)के लिए ज़रूरी है। प्रोफेसर मधु मति ने असातेज़ा(टीचेर) को माहोलयाती तहफ़्फ़ुज़ के लिए तलबा में शऊर पैदा करने का मश्वरा( सलाह) दिया। जनाब ज़फ़र जावेद और प्रोफेसर अस्थाना ने भी ख़िताब किया।