देहरादून : पिछले चार सौ साल से दलितों और औरतों को परंपरा के नाम पर मशहूर परसुराम मंदिर से दूर रखा जा रहा था. पुरानी रवायतों के मुताबिक़ गढ़वाल के इस मंदिर में औरतें और दलित पूजा नहीं कर सकते थे लेकिन अब मंदिर के मैनेजमेंट ने कहा है कि मंदिर में औरतें और दलित भी पूजा कर सकते हैं.
मंदिर की समिति के चेयरमैन जवाहर सिंह चौहान ने बताया कि ये इलाक़ा तरक्क़ी की तरफ़ बढ़ रहा है और अब वो वक़्त है कि समाज आगे बढे.
बदलते दौर में ये देखा गया है कि दकियानूसी परम्पराओं से समाज बाहर आया है, बदलते समाज में इसे एक बेहतर क़दम के तौर पर देखा जा रहा है