चंद्रशेखर राव की सौदेबाजी से कांग्रेस परेशान

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के इंज़ेमाम( merging) का इंतेजार कर रही कांग्रेस को कड़ी सौदेबाजी का सामना करना पड़ रहा है। नए तश्कील होने वाले रियासत में इंज़ेमाम के जरिये सियासी इम्कानात तलाश रही कांग्रेस की फिक्र चिंताटीआरएस के रवैये ने बढ़ा दी है।

टीआरएस चीफ के. चंद्रशेखर राव भले ही कांग्रेस सदर सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी और रियासत के इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी दिग्विजय सिंह से मुलाकात कर रहे हों, लेकिन वह वो बात नहीं कर रहे जो कांग्रेस सुनना चाह रही है। वहीं चंद्रशेखर राव के बेटे केटी रामा राव ने कहा है कि लोगों के मुफाद को देखते हुए हम फैसला करेंगे कि किसके साथ जाएं।

पार्टी लीडर भी अब इस मुद्दे पर अपनी फिक्र को आवामी करने लगे हैं। कांग्रेस सदर सोनिया गांधी से मिलने के बाद मरकज़ी वज़ीर सर्वे सत्य नारायण ने कहा, ‘हम जल्द ही टीआरएस के इंज़ेमाम की उम्मीद करते हैं। राव ने तेलंगाना की तश्कील के बाद साथ में आने की बात कही थी। अब जब तेलंगाना की तश्कील को हरी झंडी मिल चुकी है तो ऐसे में टीआरएस के अलग वजूद का कोई मतलब नहीं है।’

गौरतलब है कि राव ने तेलंगाना की तश्कील के बाद अपनी पार्टी को कांग्रेस में इंज़ेमाम करने की बात कही थी। आंध्र प्रदेश में साबिक वज़ीर ए आला राजशेखर रेड्डी की मौत और उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी बगावत के बाद पार्टी सियासी तौर पर हाशिये पर पहुंच गई है। ऐसे में कांग्रेस के लिए तेलंगाना से आने वाली 17 लोकसभा सीटें खासा अहम रखती हैं।

लेकिन टीआरएस का बदला रवैया पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है।

ज़राये की मानें तो बदले हुए हालात में टीआरएस चीफ शर्तो के साथ कांग्रेस का साथ देने की बात कह रहे हैं।

कांग्रेस को लगता है कि सीमांध्र में रियासत की तक्सीम की नाराजगी की वजह से हाशिये पर पहुंची कांग्रेस को अगर तेलंगाना में भी मुकामी पार्टी का हैंगर बनना पड़ा तो यह पार्टी के मुस्तकबिल के लिए सही नहीं होगा। पार्टी राव के मुसलसल भाजपा के लीडरों के राबिते में रहने से भी फिक्रमंद है।